Vanakkam Poorvottar: पिता-पुत्र Ramadoss बनाम Anbumani की लड़ाई से Tamil Nadu की राजनीति में आया नया मोड़

By नीरज कुमार दुबे | Sep 11, 2025

तमिलनाडु की राजनीति में एक और अंतर-पारिवारिक और दलगत संकट ने उथल-पुथल मचा दी है। हम आपको बता दें कि पाटाली मक्कल कचि (PMK) के संस्थापक एस. रामादोस ने अपने ही पुत्र और पार्टी अध्यक्ष अन्बुमनी रामादोस को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। रामादोस का आरोप है कि उनका पुत्र राजनीति में “अनफिट” है और पार्टी को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहा है।


देखा जाये तो यह घटना केवल राजनीतिक झगड़े तक सीमित नहीं है, बल्कि पिता-पुत्र के व्यक्तिगत संबंधों में भी तनाव को उजागर करती है। हम आपको याद दिला दें कि अगस्त में रामादोस ने आरोप लगाया था कि अन्बुमनी ने उनके फार्महाउस में बगिंग डिवाइस लगायी थी। अन्बुमनी ने इस आरोप पर चुप्पी साध रखी है और अपनी पदयात्रा जारी रखी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पिता-पुत्र के रिश्ते में गहरी खटास है।

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रामादोस ने अप्रैल में खुद को पार्टी का अध्यक्ष बना लिया था और अन्बुमनी को कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर दिया था। इससे पिता-पुत्र के बीच संघर्ष की राह खुली और पिछले दो महीनों से यह संघर्ष सार्वजनिक रूप से दिखाई दे रहा है। रामादोस का आरोप है कि अन्बुमनी के नेतृत्व में पार्टी धीरे-धीरे भाजपा की ओर झुकी और धर्मपुरी में लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने पार्टी की गठबंधन नीति पर पुनर्विचार किया। उनका मानना है कि PMK को वन्नियार समाज के उत्थान के मूल एजेंडे को कमजोर नहीं करना चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर केवल द्रविड़ दलों के साथ गठबंधन करना चाहिए।


हम आपको बता दें कि PMK की वर्तमान स्थिति यह है कि वन्नियार मतदाता में उसका प्रभाव घटता जा रहा है, फिर भी यह लगभग 5 प्रतिशत वोट बैंक पर कायम है। पार्टी ने अतीत में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार और UPA-I में मंत्री पद संभाला है। UPA-I के दौरान डॉ. मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में अन्बुमनी देश के स्वास्थ्य मंत्री रहे थे। हम आपको बता दें कि 1989 में वन्नियारों के हित में स्थापित होने के बाद यह पार्टी DMK और AIADMK के बीच झूलती रही। 2016 में अकेले चुनाव लड़ने के असफल प्रयास के बाद BJP के साथ गठबंधन किया गया।


अन्बुमनी के निष्कासन के बाद तमिलनाडु की राजनीति में कई संभावित बदलाव होना तय है। अन्बुमनी अपने नए राजनीतिक मंच के साथ बाहर निकल सकते हैं, जिससे PMK के 5 प्रतिशत वन्नियार वोट बैंक में बंटवारा हो सकता है। इसके अलावा, रामादोस का पार्टी को केवल द्रविड़ दलों से जोड़ने का प्रयास BJP के प्रभाव को सीमित कर सकता है। साथ ही आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में PMK की नई रणनीति तमिलनाडु में गठबंधन की दिशा बदल सकती है। इसके साथ ही पिता-पुत्र के रिश्ते में खटास और सार्वजनिक टकराव ने पार्टी की छवि पर भी सवाल खड़ा किया है, जो उम्मीदवार चयन और चुनावी प्रचार पर असर डाल सकता है।


बहरहाल, PMK के भीतर पिता-पुत्र का यह संघर्ष केवल परिवारिक मामला नहीं, बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में नए समीकरण बनाने वाला संकेत है। रामादोस की इच्छा है कि पार्टी वन्नियार समाज के मूल एजेंडे पर केंद्रित रहे, जबकि अन्बुमनी अपने दृष्टिकोण के अनुसार पार्टी को आगे ले जाना चाहते थे। इस असंतुलन और सार्वजनिक टकराव का प्रभाव आने वाले चुनावों और तमिलनाडु की राजनीतिक स्थिरता पर स्पष्ट रूप से देखा जाएगा।


-नीरज कुमार दुबे

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