By अनन्या मिश्रा | Dec 01, 2025
आज ही के दिन यानी की 01 दिसंबर को भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में असाधारण भूमिका निभाने वाली सुचेता कृपलानी का निधन हो गया था। वह आजाद भारत में किसी राज्य की पहली मुख्यमंत्री रहीं। जब भारत अंग्रेजी सत्ता के शिकंजे में था और महिलाओं के लिए राजनीति में प्रवेश करना असंभव माना जाता था। उस समय सुचेता ने न सिर्फ उस दरवाजे को खोला, बल्कि महिला सशक्तीकरण की नींव रख दी। तो आइए जानते उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर सुचेता कृपलानी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
पंजाब के अंबाला में 25 जून 1908 को सुचेता कृपलानी का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से पूरी की। फिर कृपलानी ने साल 1939 तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में संवैधानिक इतिहास की शिक्षिका के रूप में कार्य किया। इसके बाद साल 1936 में उनका विवाह स्वतंत्रता सेनानी आचार्य जेबी कृपलानी से विवाह किया। फिर साल 1938 में वह कांग्रेस पार्टी से जुड़ गईं और यहीं से उनका राजनीतिक जीवन शुरू किया। यहां से ही सुचेता कृपलानी के भीतर 'क्रांतिकारी महिला' जाग उठीं।
साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सुचेता कृपलानी ने योगदान दिया। फिर साल 1944 में उनकी लंबी गिरफ्तारी ने कृपलानी के व्यक्तित्व को निखारा। कृपलानी ने इस आंदोलन की 'रीढ़' बनकर दृढ़ता के साथ काम किया। फिर साल 1946 में वह संयुक्त प्रांत से संविधान सभा के लिए चुनी गईं। वहीं ध्वज प्रस्तुति समिति की अहम सदस्य के रूप में कृपलानी ने तिरंगे को संसद के सामने प्रस्तुत करने वाली टीम में अहम भूमिका निभाई।
वह साल 1950 से लेकर 1952 तक प्रांतीय संसद, फिर साल 1952 से 1956 तक प्रथम लोकसभा और साल 1957 से 1962 तक द्वितीय लोकसभा की सदस्य रहीं। उत्तर प्रदेश में सुचेता कृपलानी का राजनीतिक जीवन सफल रहा और वह साल 1943 से 1950 तक यूपी विधानसभा की सदस्य और श्रम और फिर साल 1960 से 1963 तक कई अहम पदों पर काम किया। फिर साल 1963 में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने भारत के किसी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का इतिहास रच दिया।
सुचेता कृपलानी की कार्यशैली सख्त लेकिन न्यायप्रिय थीं। कृपलानी किसी को भी महिला होने का अवसरवादी लाभ नहीं देने दिया। साथ ही किसी यह भूलने भी नहीं दिया कि वह देश की रीति-नीति तय करने में सक्षम है। कृपलानी ने भारत का प्रतिनिधित्व संयुक्त राष्ट्र, तुर्की और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन जैसे वैश्विक मंचों पर किया।
साल 1971 में सुचेता कृपलानी ने राजनीति से संन्यास ले लिया। वहीं 01 दिसंबर 1974 में सुचेता कृपलानी का निधन हो गया।