सदैव मुनाफे के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट के अलावा अन्य सुरक्षित निवेश और बेहतर रिटर्न देने वाले विकल्पों पर भी गौर कीजिए

By कमलेश पांडे | Jul 16, 2025

आमतौर पर हममें से कई सारे लोग सालों-साल मेहनत करते हुए अपने सेविंग अकाउंट में पैसे जोड़ते हैं। जब कुछ पैसे इकट्ठा हो जाते हैं, तो उसकी एफडी (फिक्स डिपॉजिट) करा लेते हैं। ऐसा इसलिए कि भारत में ज्यादातर लोग एफडी को सबसे आसान और सुरक्षित ऑप्शन मानते हैं। लेकिन क्या एफडी वाकई आपके पैसे के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है? सवाल है कि एफडी के क्या नुकसान हैं? आपको अपनी गाढ़ी कमाई की पूरी सेविंग्स एफडी में क्यों नहीं डालनी चाहिए? 


दरअसल, एफडी के अलावा दूसरे बेहतर और सुरक्षित इन्वेस्टमेंट विकल्प क्या क्या हैं? एफडी क्या है और यह कैसे काम करता है? जानकार आखिरकार क्यों बताते हैं कि कई बार एफडी कराना घाटे का सौदा हो सकता है, खासकर तब जब आप ज्यादा रिटर्न चाहते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं कि फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) एक सुरक्षित निवेश विकल्प है, लेकिन यह हमेशा "घाटे का सौदा" नहीं होता है। 


हालांकि, यह भी कड़वा सच है कि सावधि जमा यानी एफडी में अपनी पूरी सेविंग रखने से बेहतर है कि आप कुछ हिस्सा एफडी में और बाकी हिस्सा बेहतर रिटर्न के लिए उपलब्ध अन्य विकल्पों में निवेश करें। इससे सदैव आप मुनाफे में रहेंगे। इसलिए हमलोग पहले बात करते हैं एफडी की,, क्योंकि यह एक ऐसा निवेश विकल्प (इन्वेस्टमेंट ऑप्शन) है जिसमें आप अपना पैसा बैंक में एक तय समय के लिए जमा करते हैं। यह समय 7 दिन से लेकर 10 साल तक हो सकता है। इसके बदले में, बैंक आपको एक तय ब्याज दर पर आकर्षक रिटर्न देता है। उदाहरण के लिए, अगर आप 20,000 रुपए को 1 साल के लिए 6 प्रतिशत ब्याज दर पर FD में डालते हैं, तो एक साल बाद आपको 21,200 रुपए मिलेंगे।

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जहां तक एफडी के फायदे की बात है तो यह कहना उचित होगा कि इसमें आपके निवेश की ब्याज दर तय होती है, जिससे मार्केट के उतार-चढ़ाव का आपके बहुमूल्य निवेश पर कोई असर नहीं पड़ता है। यही नहीं, भारत में डीआईसीजीसी (DICGC) यानी Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation आपको 5 लाख रुपए तक के डिपॉजिट को इंश्योर करता है, यानी कि यदि बैंक डिफॉल्ट करता है, तो भी 5 लाख रुपए की धनराशि तक आपका पैसा सुरक्षित है।


यही वजह है कि वित्तीय मामलों के जानकार एफडी के फायदे गिनाते हुए बताते हैं कि एफडी को सुरक्षित निवेश माना जाता है, खासकर बैंक और एनबीएफसीज में, जहां आपका पैसा जमा होता है। दरअसल, एफडी में आपको एक निश्चित ब्याज दर मिलती है, जो आपके निवेश पर सुनिश्चित रिटर्न की गारंटी देती है। वहीं, एफडी बाजार के उतार-चढ़ाव से अप्रभावित रहता है, जिससे यह एक स्थिर निवेश विकल्प बन जाता है। इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों को एफडी पर आमतौर पर अधिक ब्याज दरें मिलती हैं। 


लेकिन वित्तीय दुनिया की हर चीज की तरह एफडी के भी कुछ नुकसान हैं, जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है। इसलिए सवाल उठता है कि एफडी के नुकसान क्या क्या हैं? और यह घाटे का सौदा क्यों हो सकता है? तो इसका स्पष्ट जवाब होगा कि एफडी को लेकर कई बार लोग सोचते हैं कि यह सबसे सेफ और बेस्ट ऑप्शन है, लेकिन कुछ कारणों से यह घाटे का सौदा हो सकता है। इसलिए आइए इन नुकसान को विस्तार से समझते हैं। इस तरह के नुकसान की वजह से ही एफडी कई बार आपके पैसे को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका नहीं होता है। खासकर अगर आप लॉन्ग-टर्म में ज्यादा रिटर्न चाहते हैं, तो कुछ अन्य विकल्प एफडी से बेहतर साबित हो सकते हैं।


इसलिए सवाल उठता है कि क्या अपनी पूरी सेविंग्स एफडी में निवेश करना चाहिए या फिर नहीं? तो जवाब मिलता है कि अपनी पूरी सेविंग्स एफडी में डालना कतई समझदारी वाली बात नहीं है। क्योंकि एफडी उन लोगों के लिए अच्छा है, जो शॉर्ट-टर्म गोल्स यानी महज 1 से 3 साल के लिए पैसा सुरक्षित रखना चाहते हैं। कहने का तातपर्य यह कि खुद के लिए इमरजेंसी फंड बनाना चाहते हैं और रिस्क उठाने से बचना चाहते हैं। जबकि आप यदि लॉन्ग-टर्म में अपने पैसे को बढ़ाना चाहते हैं, तो अपनी सेविंग्स का सिर्फ एक छोटा हिस्सा या पांचवां हिस्सा ही एफडी में डालें। बाकी पैसा आप उन इन्वेस्टमेंट ऑप्शन्स में लगा सकते हैं जो ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं। ऐसा करके आप रिस्क को बैलेंस कर सकते हैं। 


इसके साथ ही मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) को भी मात देने सकते हैं। इससे आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड होता है। यानी अगर एक इन्वेस्टमेंट में नुकसान हो, तो दूसरा उसे कवर कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास 10 लाख रुपए हैं, तो आप 2 लाख रुपए एफडी में डाल सकते हैं ताकि वह सुरक्षित रहे। बाकी 8 लाख रुपए को आप म्यूचुअल फंड्स, पीपीएफ या कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में डाल सकते हैं। इससे आप सेफ्टी और ग्रोथ दोनों पा सकते हैं।


इस प्रकार देखा जाए तो एफडी से मिलने वाला रिटर्न मुद्रास्फीति से कम हो सकता है, जिससे आपके पैसे की वास्तविक वैल्यू कम हो सकती है। वहीं, एफडी पर मिलने वाला ब्याज दर अक्सर अन्य निवेश विकल्पों जैसे इक्विटी या म्यूचुअल फंड से कम होता है। इसके अलावा, एफडी में एक निश्चित अवधि के लिए पैसा जमा होता है, और समय से पहले पैसे निकालने पर जुर्माना लग सकता है। यही नहीं, एफडी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगता है। 


ऐसे में महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिर निवेश के अन्य विकल्प क्या क्या हैं, जो लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं? साथ ही जो सुरक्षित हों और बेहतर रिटर्न भी दे सकते हों। लिहाजा, एक्सपर्ट्स कई ऐसे इन्वेस्टमेंट ऑप्शन्स सुझाते हैं जो एफडी से ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं। हालांकि, इनमें कुछ विकल्प में जोखिम हो सकता है। यही वजह है कि समझदार लोगों को वित्तीय सलाहकार एफडी के अलावा अन्य निवेश विकल्पों पर भी दांव लगाने के सुझाव देते हैं। 


इसमें म्यूचुअल फंड अग्रणी निवेश विकल्प है, क्योंकि इसमें आप विभिन्न प्रकार के परिसंपत्तियों जैसे कि स्टॉक, बॉन्ड और सोने में निवेश कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड्स में कई लोगों का पैसा इकट्ठा करके स्टॉक्स, बॉन्ड्स, या दोनों में इन्वेस्ट किया जाता है। इसे प्रोफेशनल फंड मैनेजर चलाते हैं। इसमें निवेश का फायदा यह होता है कि लॉन्ग-टर्म में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स 10-12 प्रतिशत तक रिटर्न दे सकते हैं, जो एफडी से कहीं ज्यादा है। इसके जरिए आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा भी एसआईपी के जरिए लगा सकते हैं, जिससे रिस्क कम होता है। हालांकि इसका नुकसान यह है कि यह मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होते हैं, जिसमें रिस्क ज्यादा होता है।


वहीं, वैकल्पिक अग्रणी निवेश विकल्पों में शेयर बाजार भी प्रमुख है, क्योंकि इसमें निवेश करने से उच्च रिटर्न मिल सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक होता है। इसके अंतर्गत कॉरपोरेट बॉन्ड्स, कंपनियां या एनबीएफसीज (NBFCs: Non-Banking Financial Companies) द्वारा जारी किए गए डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स, जो एफडी से ज्यादा ब्याज देते हैं। इसमें फायदा यह होता है कि 8-9 प्रतिशत तक रिटर्न मिलता है, जो बैंक एफडी से ज्यादा है। यह डायवर्सिफिकेशन में मदद करता है। इसका नुकसान यह है कि यह थोड़ा रिस्की है, क्योंकि कंपनी डिफॉल्ट कर सकती है। इसलिए निवेश से पहले क्रेडिट रेटिंग चेक करना जरूरी है।


वहीं, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) म्यूचुअल फंड्स का एक प्रकार है, जो इक्विटीज में इन्वेस्ट करता है और टैक्स बचाने में मदद करता है। इसका फायदा यह है कि इनकम टैक्स सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन, 3 साल का लॉक-इन पीरियड (टैक्स-बचत स्कीम्स में सबसे कम), और 10-12 प्रतिशत रिटर्न की संभावना होती है। जबकि नुकसान यह है कि यह भी इक्विटी मार्केट के उतार-चढ़ाव के रिस्क से प्रभावित होता है।


वहीं, वैकल्पिक अग्रणी निवेश विकल्पों में रियल एस्टेट भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें निवेश करने से भी अच्छा रिटर्न मिल सकता है, लेकिन इसमें भी अधिक निवेश की आवश्यकता होती है। रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (आरईआईटीज) रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करने का एक तरीका है, जिसमें आप स्टॉक एक्सचेंज पर आरईआईटीज की यूनिट्स खरीदते हैं। इसका फायदा यह है कि इससे रेंटल इनकम और कैपिटल एप्रिसिएशन मिलता है। वहीं, पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करता है। जबकि इसका नुकसान यह है कि रियल एस्टेट मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित हो सकता है।


वहीं, वैकल्पिक अग्रणी निवेश विकल्पों में सोने में निवेश को भी लोग वरीयता देते हैं, क्योंकि सोना एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, और यह मुद्रास्फीति के खिलाफ भी एक अच्छा बचाव है। 


वहीं, वैकल्पिक अग्रणी निवेश विकल्पों में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) एक गवर्नमेंट-बैक्ड स्कीम है, जो टैक्स-फ्री ब्याज देती है। अभी ब्याज दर 7.10 प्रतिशत है। इसका फायदा यह है कि इसमें आपका निवेश  पूरी तरह से सुरक्षित, टैक्स-फ्री रिटर्न, और आयकर की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक टैक्स डिडक्शन प्राप्त होता है। वहीं, इसका नुकसान यह है कि 15 साल का लॉक-इन पीरियड होता है। हालांकि, 7वें वित्तीय वर्ष से आंशिक निकासी की अनुमति होती है।


वहीं, वैकल्पिक अग्रणी निवेश विकल्पों में नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) रिटायरमेंट के लिए बनाया गया इन्वेस्टमेंट प्लान है, जिसमें आप इक्विटी, बॉन्ड्स, और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट कर सकते हैं।इसका फायदा यह है कि इसमें टैक्स डिडक्शन (Section 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपए अतिरिक्त) और रिटायरमेंट पर टैक्स-फ्री निकासी का ऑप्शन मिलता है। जबकि नुकसान यह है कि यह एक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट है। ऐसे में पूरी राशि आप तुरंत नहीं निकाल सकते हैं।


निष्कर्ष यह कहा जा सकता है कि एफडी एक अच्छा निवेश विकल्प है, लेकिन यह जरूरी है कि आप अपनी पूरी सेविंग एफडी में न डालें। बल्कि अपनी आवश्यकताओं और जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार, आप एफडी के साथ-साथ अन्य निवेश विकल्पों में भी निवेश कर सकते हैं।


उदाहरणस्वरूप, मान लीजिए कि आपके पास ₹2,00,000 हैं। आप ₹40,000 एफडी में और ₹160,000 म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं। इस तरह, आपको एफडी से कुछ निश्चित रिटर्न मिलेगा और म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार से अधिक रिटर्न मिलने की संभावना भी बनी रहेगी। जिस पर आप सतत नजर बनाए रखें। हां, यहां पर यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निवेश से पहले हमेशा वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। 


यहां पर सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिरकार इन्वेस्टमेंट चुनने से पहले क्या ध्यान रखें? तो जवाब होगा कि कोई भी निवेश करने से पहले आपके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। क्योंकि आमतौर पर लोग अपनी समझ के आधार पर निवेश करने लगते हैं, जिससे कभी कभी घाटे में भी चले जाते हैं। ऐसे में कोई भी इन्वेस्टमेंट चुनने से पहले निम्नलिखित कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:- 


पहला, रिस्क टॉलरेंस अर्थात आप कितना रिस्क ले सकते हैं? यदिआप रिस्क से बचना चाहते हैं, तो पीपीएफ या एफडी बेहतर हैं। अगर थोड़ा रिस्क ले सकते हैं, तो म्यूचुअल फंड्स या ईएलएसएस चुनें। दूसरा, पीरियड अर्थात आप कितने समय के लिए इन्वेस्ट करना चाहते हैं? क्योंकि शॉर्ट-टर्म के लिए एफडी, लॉन्ग-टर्म के लिए पीपीएफ या म्यूचुअल फंड्स महत्वपूर्ण हैं। तीसरा, 

फाइनेंशियल गोल्स अर्थात आपका लक्ष्य क्या है? रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई, या घर खरीदना? इसलिए अपने गोल्स के हिसाब से इन्वेस्टमेंट चुनें। 


चतुर्थ, टैक्स इम्प्लिकेशन्स अर्थात कुछ ऑप्शन्स जैसे पीपीएफ और ईएलएसएस टैक्स बेनिफिट्स देते हैं, जबकि एफडी का ब्याज टैक्सेबल होता है। पांचवां, रिसर्च और सलाह अर्थात इन्वेस्टमेंट करने से पहले हमेशा रिसर्च करें और अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें। ऐसा करके आप अपने रणनीतिक निवेश पर औसतन बेहतर रिटर्न पा सकते हैं, इसलिए समझदारी पूर्वक निर्णय लें।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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