कैपिटल गेन टैक्स क्या है? अपनी प्रॉपर्टी बेचने पर कितना टैक्स देना पड़ता है? क्या होम लोन इंटरेस्ट पर इसमें छूट मिलती है? इसे बचाने के उपाय बताएं।

जब होम लोन पर हम एक बड़ी रकम ब्याज के रूप में चुकाते हैं, तो क्या इस ब्याज की राशि को भी कैपिटल गेन टैक्स की छूट में शामिल किया जाता है? तो जवाब यह होगा कि होम लोन पर दिए गए ब्याज को कैपिटल गेन टैक्स की छूट में शामिल नहीं किया जाता है।
जब भी हम अपनी कोई प्रॉपर्टी बेचते हैं तो हमारा मुख्य मकसद मुनाफा कमाना होता है या फिर अपनी आकस्मिक जरूरतें पूरी करना होता है। हालांकि हमारे इस मुनाफे का कुछ हिस्सा सरकार के पास टैक्स के रूप में चला जाता है, जिसे 'कैपिटल गेन टैक्स' कहा जाता है। इस टैक्स से बचने के कुछ उपाय मौजूद हैं, जिनका सही तरीके से इस्तेमाल करके आप अपनी बड़ी रकम टैक्स में जाने से बचा सकते हैं। बता दें कि सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव भी किए हैं, जिन्हें समझकर और अपनाकर आप भी अपना कीमती टैक्स बचा सकते हैं।
इसलिए आज हम यह बताएंगे कि अपनी प्रॉपर्टी बेचने पर कितना कैपिटल गेन टैक्स लगता है? यह टैक्स कब लगता है? और इसे बचाने का उचित तरीका क्या है? ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिर कैपिटल गेन टैक्स क्या है? तो इसका सीधा-सा जवाब होगा कि किसी भी प्रॉपर्टी को बेचकर हम जो मुनाफा कमाते हैं, सरकार उस मुनाफे पर जो टैक्स लेती है, वही कैपिटल गेन टैक्स है जो दो प्रकार का होता है-
पहला, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एसटीसीजी):
कोई भी कैपिटल जिसे 24 महीने से कम समय तक होल्ड किया गया है, उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल माना जाता है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर यह टैक्स आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगता है। जैसे, मान लेते हैं कि आपकी सालाना इनकम 6 लाख रुपए है। ऐसे में यदि आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल बेचकर 2 लाख का मुनाफा कमा लिया है तो आपकी सालाना इनकम 8 लाख रुपए हुई। लिहाजा, 8 लाख के टैक्स स्लैब के अनुसार आपको टैक्स देना होगा।
दूसरा, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी):
कोई भी संपत्ति जिसे 24 महीने से ज्यादा समय तक रखा गया है, तो उसे लॉन्ग-टर्म कैपिटल एसेट कहते हैं। जमीन, बिल्डिंग और घर जैसी कैपिटल एसेट को लॉन्ग-टर्म कैपिटल एसेट तभी माना जाएगा, जब आप 24 महीने यानी दो साल से ज्यादा समय तक अपने पास रखते हैं। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20 फीसदी टैक्स लगता है और टैक्स का 4 प्रतिशत सेस लगता है। यानी कुल 20.80 फीसदी टैक्स लगता है।
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वहीं, प्रासंगिक सवाल यह भी है कि 'इंडेक्सेशन बेनिफिट' क्या होता है? तो दो टूक जवाब होगा कि जब हम कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो समय के साथ उसकी कीमत में अंतर आता है। चूंकि इस कीमत में सिर्फ मुनाफा ही नहीं शामिल होता है, बल्कि समय के साथ-साथ महंगाई भी बढ़ती है। लिहाजा सरकार इंडेक्सेशन की सुविधा देती है, जिसकी मदद से महंगाई के अनुसार खरीदी गई संपत्ति की लागत को एडजस्ट करते हैं। इससे मुनाफा कम दिखता है और टैक्स कम लगता है।
हालांकि, बजट 2024-25 में ही इंडेक्सेशन को लेकर कुछ बदलाव किए गए हैं। इसमें 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी के लिए टैक्सपेयर्स को दो विकल्प मिलते हैं:- एक, बिना इंडेक्सेशन के 12.5 फीसदी टैक्स: इसमें आपको इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा, लेकिन टैक्स की दर कम होगी। दो, इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत टैक्स: यह पारंपरिक तरीका है जिसमें आपको इंडेक्सेशन का फायदा मिलेगा, लेकिन टैक्स की दर 20 प्रतिशत होगी। हालांकि अब सभी प्रॉपर्टीज पर इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलता है। यह लाभ सिर्फ 2001 से पहले खरीदी गई पुरानी प्रॉपर्टी पर ही मिलता है। ऐसे में आप दोनों में कम टैक्स वाली स्कीम चुन सकते हैं। दोनों में आपको 4 फीसदी सेस देना होता है।
ऐसे में सीधा सवाल यह है कि जब होम लोन पर हम एक बड़ी रकम ब्याज के रूप में चुकाते हैं, तो क्या इस ब्याज की राशि को भी कैपिटल गेन टैक्स की छूट में शामिल किया जाता है? तो जवाब यह होगा कि होम लोन पर दिए गए ब्याज को कैपिटल गेन टैक्स की छूट में शामिल नहीं किया जाता है। जबकि होम लोन के ब्याज पर सालाना 2 लाख रुपये तक की छूट इनकम टैक्स में मिलती है, लेकिन यह छूट सिर्फ पुराने टैक्स सिस्टम में ही लागू होती है।
इसलिए आइए इसे हमलोग एक उदाहरण के जरिए भलीभांति समझते हैं। मान लीजिए कि आपने साल 2001 से पहले 50 लाख रुपए का एक घर खरीदा था, जिसके लिए आप 20 लाख रुपए का लोन लिया था। इस लोन की राशि पर 10 लाख रुपए का ब्याज भी चुकाया था। ऐसे में घर बेचने के बाद इंडेक्सेशन के फायदे के साथ कितना कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यहां पर हम आपको स्पष्ट कर दें कि ब्याज और लोन की रकम को कैपिटल गेन टैक्स में नहीं जोड़ा जाता है। बल्कि यह इंडेक्सेशन लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर आधारित है, जब प्रॉपर्टी 2 साल से अधिक समय के लिए रखी गई हो। लिहाजा, इंडेक्सेशन के बाद टैक्स की रकम में बहुत कम हो जाती है। इंडेक्सेशन का लाभ अब सिर्फ 2001 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी पर मिलता है।
एक और सवाल यह है कि आखिर कैपिटल गेन टैक्स बचाने के तरीके क्या हैं? तो जवाब होगा कि कैपिटल गेन टैक्स बचाने के कई सारे तरीके हैं-
पहला, सेक्शन 54 के तहत यदि आपने अपना घर बेचा है और उससे मिले पैसे से 2 साल बाद कोई दूसरा घर खरीद लेते हैं या घर बेचने की तारीख से एक साल के भीतर कोई घर खरीदा है तो आप टैक्स से बच सकते हैं। साथ ही आप घर बेचने की तारीख से 3 साल के अंदर नया घर बनवा लेते हैं, तो मुनाफे पर टैक्स में छूट मिलती है।
दूसरा, सेक्शन 54एफ के अंतर्गत यदि आपने कोई भी पुरानी चीज (जैसे- जमीन, सोना, दुकान आदि) बेची है और उससे जो मुनाफा हुआ है, उसे 2 साल बाद कोई आवासीय घर खरीदने में लगा देते हैं, या अगर आप बेचने की तारीख से 3 साल के अंदर नया घर बनवा लेते हैं, तो आपको टैक्स छूट मिल सकती है। साथ ही अगर आपने जमीन, सोना, दुकान जैसी प्रॉपर्टी बेचने से पहले एक साल पहले घर खरीदा था तो भी आपको टैक्स में छूट मिल सकती है।
तीसरा, सेक्शन 54ईसी के तहत अगर आप प्रॉपर्टी बेचने के 6 महीने के अंदर एनएचएआई, आरईसी, आईआरएफसी, या पीएफसी जैसे सरकारी बॉन्ड में अपना मुनाफा लगाते हैं, तो आपको पूरे टैक्स से छूट मिलती है।
चतुर्थ, सेक्शन 54जीबी के तहत अगर आप अपनी रिहायशी प्रॉपर्टी बेचकर मिले प्रॉफिट को तय समय के अंदर सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नए स्टार्टअप में लगाते हैं, तो आप टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
पंचम, कैपिटल गेन्स अकाउंट स्कीम (सीजीएएस) अगर आप तुरंत नई प्रॉपर्टी में पैसा नहीं लगा सकते हैं, तो उस मुनाफे को कैपिटल गेन्स अकाउंट स्कीम में जमा कर दें। यह पैसा 3 साल के अंदर घर खरीदने में इस्तेमाल करना जरूरी होता है, वरना यह छूट नहीं मिलती है और मुनाफे पर टैक्स देना पड़ता है।
और, अंतिम सवाल यह है कि क्या कृषि भूमि बेचने पर भी कैपिटल गेन टैक्स लगता है? तो जवाब होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेती की जमीन बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है, क्योंकि इसमें इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत छूट मिलती है। वहीं, शहरी क्षेत्र में स्थित खेती की जमीन को कैपिटल एसेट माना जाता है, इसलिए उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है।
इस प्रकार से स्पष्ट है कि जब भी हम अपनी कोई प्रॉपर्टी बेचते हैं तो हमारा मुख्य मकसद मुनाफा कमाना होता है या फिर अपनी आकस्मिक जरूरतें पूरी करना होता है। जबकि हमारे इस मुनाफे का कुछ हिस्सा सरकार के पास टैक्स के रूप में चला जाता है, जिसे 'कैपिटल गेन टैक्स' कहा जाता है। हालांकि इस टैक्स से बचने के कुछ उपाय हमने ऊपर में बताए हैं, जिनका सही तरीके से इस्तेमाल करके आप अपनी बड़ी रकम टैक्स में जाने से बचा सकते हैं।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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