देख रहा है ना बिनोद! साष्टांग दंडवत से अबाउट टर्न तक, अंतरात्मा की आवाज पर फिर से सत्ता शरीर बदलने वाली है

By अभिनय आकाश | Aug 09, 2022

राजनीतिक अस्थिरता, पॉलिटिकल ड्रामा, बहुमत परीक्षण, विधायकों की परेड ये शब्द अब जल्द ही फिर से चर्चा में आने वाले हैं। जुम्मा जुम्मा चार दिन हुए थे। सरकार में परिवर्तन हुए। कैबिनेट के नए स्वरूप का खाका आज के दिन ही खींचा गया। जहां एक तरफ नई नरकार के नए मंत्रियों की शपथ चल रही थी। वहीं मुंबई से 1 हजार 873 किलोमीटर की दूरी पर पटना में सरकार गिराने और बनाने की खबर सामने आ रही थी। वैसे तो मनुष्यका शरीर नश्वर है और आत्मा अमर है।  स्वामी परमात्मानंद कहना है कि अंतरात्मा की ओर ध्यान देने से प्राणी का जीवन सार्थक है। बिहार की राजनीति में अंतरात्मा की आवाज पर सत्ता फिर से शरीर बदलने वाली है।

इसे भी पढ़ें: बिहार में लगेगा राष्ट्रपति शासन? आरजेडी ने कहा- भाजपा को देंगे करारा जवाब

घड़ी सब के घर में होती है। जिस चाल से घड़ी चलती है उसे क्लॉकवाईज कहते हैं। कहा जा सकता है कि बिहार में नीतीश कुमार के पास ऐसी घड़ी है जो क्लॉकवाईज और एंटीक्लॉकवाईज दोनों दिशा में घूमती है। रह रहकर उनकी अंतरात्मा उनसे जोर-जोर से बातें करती हैं। सत्य पराजित तो नहीं होता लेकिन परेशान जरूर होने लगता है। बिहार में ये कहावत तो बहुत मशहूर भी है और हमने भी अपनी कई स्टोरी में प्रयोग भी किया है कि बिहार में सरकार किसी की भी बने सीएम तो नीतीशे कुमार होंगे। कहने का लब्बोलुआब ये है कि नीतीश कुमार ऐसे नेता हैं जिनके दोनों ही करवट पर सत्ता होती है। 

इसे भी पढ़ें: बिहार में लिखा जा रहा नया अध्याय, महागठबंधन नेताओं के साथ बैठक करेंगे नीतीश कुमार, CM आवास से राजभवन तक होगा पैदल मार्च 

साष्टांग दंडवत से अबाउट टर्न तक

25 मार्च 2022 यानी शुक्रवार का दिन योगी आदित्यनाथ का शपथ ग्रहण समारोह। शपथ ग्रहण समारोह के बीच में नीतीश कुमार की एंट्री होती है। नीतीश धीमी कदमों के साथ मंच की ओर बढ़ते हैं, पहले केशव प्रसाद मौर्य खड़े होकर उनका अभिवादन करते हैं। नीतीश आगे बढ़ते हैं और सीएम से मिलते हैं। जिसके बाद नीतीश झुककर प्रधानमंत्री का अभिवादन करते हैं इस दौरान मोदी भी अपनी सीट से खड़े होकर उनका स्वागत करते हुए नजर आते हैं। लोकतंत्र में ये एक सामान्य तस्वीर हो सकती है लेकिन दूसरे परिदृश्य से देखें तो नीतीश कुमार का किसी दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में जाना और फिर पीएम मोदी के सामने साष्टांग दंडवत की मुद्रा में 180 डिग्री का कोन बनाना राजनीति के लिहाजे से कोई सामान्य मुद्रा नहीं थी। जिसकी खूब चर्चा भी हुई। लेकिन पांच महीनों के भीतर आखिर ऐसा क्या हो गया कि नीतीश खुद को अपमानित महसूस करने लगे। जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि उनकी पार्टी को तोड़ने का षड्यंत्र हो रहा है, तभी साफ़ हो गया था कि जदयू ने भाजपा पर ये आरोप लगाया है। 

हर लोकसभा चुनाव से पहले जागती है नीतीश की अंतरात्मा

नीतीश कुमार पहली दफा 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बहुमत नहीं होने की वजह से उन्हें सात दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ा था। दूसरी बार नीतीश कुमार ने 2005 में बीजेपी के साथ सरकार बनाई। 24 नवंबर 2005 को उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा करते हुए 24 नवंबर 2010 तक मुख्यमंत्री रहे। तीसरी बार नीतीश कुमार ने 26 नवंबर 2010 को मुख्यमंत्री बने। इन चुनावों में एनडीए ने प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए 243 में से 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

इसे भी पढ़ें: जदयू की बैठक में बोले नीतीश, बीजेपी ने हमें कमजोर करने की कोशिश की, सरकार गठन का भी फार्मूला तय

जनता के हिस्से में क्या आया? 

गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है कि करि कुरूप बिधि परबस कीन्हा। बवा सो लुनिअ लहिअ जो दीन्हा। कोउ नृप होउ हमहि का हानी। चेरि छाड़ि अब होब कि रानी। अर्थात राम के राज्याभिषेक की घोषणा के बाद जब मंथरा के झांसे में कैकेयी नहीं आती हैं, तो वो अपनी स्थिति का हवाला देते हुए कहती हैं कि राजा राम बने या भरत, उसके जीवन में कोई असर नहीं पड़ता है। वो चाकर ही रहेगी। कोई साजिश की बात करता है, कोई चिराग मॉडल के दोहराव की बात सामने आ रही है। लेकिन जनता के हिस्से में क्या आया?  

प्रमुख खबरें

Loksabha Election 2024| तीसरे चरण के लिए मतदान जारी, 12 राज्यों की इन सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेगी जनता

MI vs SRH IPL 2024: सूर्या की आक्रामक शतकीय पारी से मुंबई ने सनराइजर्स को सात विकेट से हराया

Maharashtra : Thane में रिश्ते की बहन और उसके पति की हत्या के दोषी को आजीवन कारावास

Vadattiwar की शहीद हेमंत करकरे पर टिप्पणी से बिल्कुल सहमत नहीं हूं : Raut