हरियाणा की बेटी का कमाल, इंजीनियरिंग के बाद सरपंच बन बदल दी गांव की तस्वीर

By अंकित सिंह | Oct 16, 2020

हरियाणा के कैथल जिले में एक गांव है ककराला-कुचिया। यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। गांव की आबादी 1200 के आसपास है। कहने के लिए तो यह गांव है लेकिन असल मायनों में देखें तो यह शहरों से भी आगे है और इसका श्रेय गांव की एक इंजीनियर प्रवीण कौर को जाता है। प्रवीण कौर ने इस गांव को पूरी तरीके से परिवर्तित कर दिया। यह गांव दलित बहुल है। लेकिन प्रवीण कौर ने वह कर दिखाया जो आजादी के लगभग 70 वर्षों बाद भी किसी ने नहीं किया था। इस गांव की गली-गली में सीसीटीवी कैमरे लगे है, सोलर लाइट है, वाटर कूलर है और लाइब्रेरी भी है। गांव के बच्चे हिंदी और अंग्रेजी में तो निपुण है ही इसके साथ-साथ वे संस्कृत भी बोलते है।

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यह सभी चीजें यहां के सरपंच प्रवीण कौर की बदौलत है। प्रवीण कौर की बात करें तो वह कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है लेकिन मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने की बजाय उन्होंने अपने गांव में काम करने का फैसला किया। महज 21 साल की उम्र में 2016 में वह अपने गांव की सरपंच बन गईं थी। इतिहास के हिसाब से देखें तो वह हरियाणा में सबसे कम उम्र की सरपंच हैं। 2017 के महिला दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सम्मानित किया था। दरअसल, गांव का यह सरपंच सीट आठवीं पास महिला के लिए आरक्षित था। प्रवीण कौर के पिता मीता राम ने कहा कि गांव में किसी अन्य महिला के पास यह न्यूनतम योग्यता नहीं थी। ऐसे में इसका आशीर्वाद मेरी बेटी को मिला। प्रवीण का परिवार एक दशक पहले गांव छोड़ शहर में जा चुका है।

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शहर में बसने को लेकर मीता ने कहा कि इसका उद्देश्य बच्चों की अच्छी शिक्षा थी। अब बच्चों ने शिक्षा ग्रहण कर लिया है और उन्हें अपने गांव में काम करना चाहिए। मीता राम ने दावा किया कि प्रवीण शिक्षा के लिए गांव से बाहर निकलने वाली पहली महिला हैं। इस बारे में बात करते हुए प्रवीण ने कहा कि मैं शहर में जरूर पली-बढ़ी हूं लेकिन गांव से मेरा लगाव रहा है। अपने गांव की समस्याओं को देखने के बाद मैंने अपने गांव के विकास करने की बात सोची थी। 2016 में गांव वालों ने मेरे सामने सरपंच बनने का प्रस्ताव रखा और उसके बाद से मैंने यह जिम्मेदारी भी संभाली। हालांकि शुरू में मैं तैयार नहीं थी। बाद में काफी लोगों ने इस बारे में कहा और मुझे उनका समर्थन भी मिला।

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