By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 29, 2022
हालांकि, राज्य की ओर से स्थायी अधिवक्ता राजेश कुमार मिश्रा और वेद प्रकाश द्विवेदी उपस्थित थे। इससे पूर्व 24 मार्च को मंदिर की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने दलील दी थी कि पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र वैसा ही है, जैसा 15 अगस्त, 1947 को था। इसलिए पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधान यहां लागू नहीं किए जा सकते। पूजा स्थल अधिनियम की धारा 4 के तहत 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र के परिवर्तन के संबंध में किसी भी तरह के मुकदमे या किसी अन्य कानूनी कार्यवाही की अनुमति नहीं है।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी की फास्ट ट्रैक अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या वहां मौजूद मस्जिद का निर्माण कराने के लिए मंदिर को तोड़ा गया था? इसके बाद, उच्च न्यायालय ने मौजूदा मामले में नौ सितंबर, 2021 को वाराणसी की अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी।