Himachal की सुक्खू सरकार ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में OPS बहाल करने को मंजूरी दी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 14, 2023

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने चुनावी वादे को निभाते हुए शुक्रवार को मंत्रिमंडल की अपनी पहली बैठक में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली को मंजूरी दे दी। नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत कर्मचारियों और पेंशनधारियों सहित 1.36 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। कांग्रेस पार्टी ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने का वादा किया था और वह इस पर कायम रही। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सुक्खू ने पत्रकारों से कहा कि आज से पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा और इस संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘हम महिलाओं को प्रतिमाह 1,500 रुपये देने के अपने वादे को पूरा करेंगे और चंद्र कुमार, धनीराम शांडिल, अनिरुद्ध सिंह और जगत नेगी सहित कैबिनेट मंत्रियों को शामिल करते हुए एक उप समिति का गठन किया गया है, जो 30 दिनों में प्रति माह 1,500 रुपये के वितरण की रूपरेखा तैयार करेगी।’’ एक लाख नौकरियों की संभावना तलाशने के लिए समिति का भी गठन किया गया है। इस वर्ष के लिए ओपीएस के तहत देनदारी लगभग 800 से 900 करोड़ रुपये है, जिसे डीजल पर वैट में तीन रुपये की वृद्धि जैसे संसाधन जुटाने से वहन किया जाएगा।

सुक्खू ने दोहराया कि राज्य सरकार ने ओपीएस को वोट के लिए नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा देने और हिमाचल के विकास का इतिहास लिखने वाले कर्मचारियों के स्वाभिमान की रक्षा के लिए बहाल किया है। उन्होंने कहा कि मामले का गहराई से अध्ययन किया गया है और वित्त अधिकारियों द्वारा कुछ आपत्तियों के बावजूद, इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है और नई पेंशन योजना के तहत सभी कर्मचारियों को ओपीएस के दायरे में लाया जायेगा।

सुक्खू ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पिछली सरकार ने लगभग 11,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि नहीं दी है, जिसमें कर्मचारियों को 4,430 करोड़ रुपये, पेंशनधारियों को 5,226 करोड़ रुपये और छठे वेतन आयोग के 1,000 करोड़ रुपये का महंगाई भत्ता शामिल है। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के ‘‘वित्तीय कुप्रबंधन और फिजूलखर्ची’’ के कारण राज्य 75,000 करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा बजट का आवंटन किये बगैर खोले गए 900 से अधिक संस्थानों को गैर-अधिसूचित कर दिया क्योंकि उन्हें शुरू करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये की राशि की आवश्यकता थी।

उन्होंने कहा कि कड़े फैसले लेने होंगे क्योंकि सरकार भारी कर्ज के तले नहीं चल सकती। एक जनवरी, 2004 से सरकारी सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारी नई पेंशन नीति (एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं। नई पेंशन योजना कर्मचारी महासंघ हिमाचल के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा, ‘‘हमने सरकार को बताया था कि एनपीएस के तहत 2022-23 के लिए देनदारी 1,632 करोड़ रुपये है, जिसमें से कर्मचारी और सरकार क्रमशः 680 करोड़ रुपये और 952 करोड़ रुपये जमा करेंगे, जबकि ओपीएस के तहत देयता केवल 147 करोड़ रुपये होगी।

प्रमुख खबरें

कोई ‘लहर’ नहीं है, प्रधानमंत्री Narendra Modi की भाषा में केवल ‘जहर’ है : Jairam Ramesh

Rae Bareli से Rahul का चुनाव लड़ना India गठबंधन का हौसला बढ़ाने वाला: Pilot

महा विकास आघाडी Maharashtra में लोकसभा चुनाव में अधिकतम सीट जीतेगा : Aditya Thackeray

Russia के राष्ट्रपति Putin इस सप्ताह China की दो दिवसीय राजकीय यात्रा करेंगे