कंधे पर तिरंगा, जुबां पर स्वदेश का गाना, शुभांशु का अंतरिक्ष वाला सफर कैसे बनाएगा गगनयान मिशन की तैयारी को सुहाना

By अभिनय आकाश | Jun 26, 2025

28 दिन 6 असफलताएं और 30 देश ये कुछ बेहद जरूरी आंकड़े ह्यूमन स्पेस मिशन से जुड़े हुए हैं। मिशन का नाम एक्सिम 4 है। भारत के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला भी इसमें शामिल हैं। आखिर इस मिशन की इतनी चर्चा क्यों हो रही है? वो 60 प्रयोग कौन से हैं जिसे 14 दिन तक अंजाम दिया जाएगा। अगर ये एक्सपेरिमेंट्स कामयाब हुए तो आगे क्या होगा? क्या दूसरे ग्रहों पर इंसानी बस्तियां बसाने का रास्ता खुलेगा। क्या चांद पर जाना आम बात हो जाएगी। भारत के लिए ये मिशन इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जा रहा है। क्यों शुभांशु का अनुभव इसरो के गगनयान के लिए जरूरी समझा जा रहा है। आज के एमआरआई में सारे विषयों की जानकारी आपको देंगे। 

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क्या है एक्सोम 4 मिशन?

ये तीन देशों का स्पेस मिशन है 25 जून को दोपहर 12 बजे के करीब अमेरिका के फ्लोरिडा में कैनेडी स्पेस सेंटर से लिफ्ट ऑफ हुआ। ये वही लॉन्च पैड है जहां से साल 1969 में अमेरिका ने पहली बार चंद्रमा पर अपना मानव मिशन भेजा था। करीब 28 घंटों की उड़ान के बाद ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी आईएसएस पहुंच जाएंगे। आईएसएस की यात्रा करने वाले वो पहले भारतीय होंगे। अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान शुभांशु शुक्ला ने देश के 140 करोड़ लोगों के लिए एक वीडियो संदेश भी भेजा। 

राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा यात्रा के अनुभव का भारत के स्पेश मिशन में हुआ सही इस्तेमाल?

इससे पहले आपको याद होगा साल 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा सोवियत संघ के शोयूज एयक्रॉ़फ्ट के जरिए अंतरिक्ष में पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने थे। उनकी अंतरिक्ष यात्रा के करीब 41 साल बाद शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में गए हैं। सोचिए जब विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे तो उस समय ग्रप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का जन्म भी नहीं हुआ था। राकेश शर्मा की सफल अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव का भारत के स्पेश मिशन में कभी इस्तेमाल नहीं हो पाया। सच ये है कि उस जमाने में भारत कभी भी अपने अंतरिक्ष मिशन में बहुत पैसा इंवेस्ट नहीं करता था। 

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इसरो का लक्ष्य

सोवियत संघ, अमेरिका और चीन के बाद भारत अब ऐसा करने वाला दुनिया का चौथ देश बन  जाएगा। इसरो ने 2035 तक अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा है। अभी शुभांशु शुक्ला जिस इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर जा रहे हैं। वो उससे मिलता जुलता है, लेकिन आकार में छोटा होगा। उसके बाद वर्ष 2040 तक यानी आज से 15 साल बाद भारत ने चांद की सतह पर अपना पहला अंतरिक्ष यात्री उतारने का भी फैसला किया है। 

कंधे पर तिरंगा, जुंबा में शाहरूख की फिल्म का गाना

अंतरिक्ष पर जाते हुए शुभांशु ने शाहरुख खान की फिल्म के गाने से मोटिवेशन ली है। 28 घंटे के इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन के सफर में 'स्वदेस' फिल्म का गाना 'यू ही चला चल -राही' सुनेंगे। 15 वर्षों तक फाइटर पायलट रहे शुभाशु साथियों के लिए आम रस, चावल, करी और गाजर का हलवा ले गए हैं। 14 दिन ISS में रहकर 60 प्रयोग करेंगे, जैसे जीरो ग्रैविटी का इंसानों पर क्या असर होता है। स्पेसक्राफ्ट से शुभांशु का पहला मैसेज भी सामने आया है। उन्होंने देशवासियों को बताया कि 41 साल बाद भारत फिर से अंतरिक्ष पर परचम लहराने वाला है। उन्होंने इसे कमाल की राइड बताया है। शुभांशु ने कहा कि उनके कंधे पर देश का तिरंगा है। जो उन्हें हर पल ये एहसास कराता है कि इस मिशन पर वो अकेले नहीं हैं। बल्कि सभी भारतीय उनके साथ हैं। 

गगनयान मिशन की तैयारी में कैसे होगी मदद ?

एग्जीओम-4 भारत के लिए दो मायनों में अहम है। पहला, आगामी मानव मिशन के लिए मदद। भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' है। सबकुछ ठीक रहा तो 2027 में भारत के अंतरिक्ष यात्री स्पेस में जाएंगे। भारत ने इसके लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों को चुना है। शुभांशु शुक्ला उसमें से एक हैं। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा। अब तक सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन ही ऐसा कर पाए हैं। दूसरा, भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन। 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की भारत की योजना है। इसरो का लक्ष्य है कि हमारे रकिट से भारतीय को चांद पर भेजा जाए। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को एग्जीओम 4 मिशन से भेजना उसी योजना का पहला कदम है।

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रिसर्च से भारत को क्या फायदा होगा?

1. अंतरिक्ष में फसल उगाना

अंतरिक्ष में भारतीय सुपरफूड जैसे मूंग और मेथी उगाने का प्रयोग करेंगे। इसका मकसद यह समझना है कि गुरुत्वाकर्षण के बिना बीज कैसे अंकुरित होते हैं और पौधे कैसे बढ़ते हैं। इससे गगनयान जैसे लंबे मिशनों में स्पेस फूड सिस्टम तैयार करने में मदद मिलेगी। साथ ही, उन पौधों की पहचान भी होगी जो चंद्रमा या मंगल पर उगाए जा सकते हैं। 

2. मांसपेशियों की ताकत और शरीर की सेहत

अंतरिक्ष में जीरो ग्रैविटी की वजह से इसानी शरीर तेजी से कमजोर होता है। शुभांशु वहां यह देखेंगे कि मांसपेशियां और कोशिकाएं (Cells) कैसे बदलती है। यह जानकारी गगनयान के यात्रियों को फिट रखने और उनकी सेहत की निगरानी के लिए बेहद जरूरी होगी। 

3. दिमागी सेहत और स्क्रीन को देखने का क्या असर?

स्पेस में लंबे समय तक काम करते समय मनोबल और एकाग्रता बनाए रखना चुनौती होता है। रिसर्च करेंगे कि लगातार स्क्रीन देखने से दिमाग और व्यवहार पर क्या असर होता है। अतरिक्ष यात्रियों के लिए मानसिक और कामकाज का माहौल बनाने में मदद करेगा। 

4. बैक्टीरिया और जीवन समर्थन सिस्टम

अंतरिक्ष में बैक्टीरिया के व्यवहार और खाने योग्य शैवाल (algae) उगाने की कोशिश की जाएगी। शैवाल प्रोटीन से भरपूर होता है और कम जगह में उगाया जा सकता है। इस रिसर्च से गगनयान में एयर-पानी को शुद्ध रखने और पोषण देने वाले सिस्टम विकसित किए


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