हंसते-हंसाते फिल्मों के जरिए सबको रुला जाते थे ऋषिकेश मुखर्जी

By अंकित सिंह | Sep 30, 2020

अगर दादा साहेब फाल्के ने भारतीय सिनेमा की शुरुआत की तो ऋषिकेश मुखर्जी ने उसमें जान डाला। ऋषिकेश मुखर्जी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के अव्वल दर्जे के फिल्म निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने समाज के हर संवेदनशील मसलों पर फिल्म बनाई और लोगों को जागरूक करने की कोशिश की। ऋषिकेश मुखर्जी अपनी फिल्मों के जरिए दूरदर्शी सोच को दिखाते रहे हैं। ऋषिकेश मुखर्जी को बॉलीवुड में स्टार मेकर के रूप में याद किया जाता रहेगा। ऋषिकेश मुखर्जी का जन्म 30 सितंबर 1922 को कोलकाता में हुआ था। कोलकाता विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद वह गणित और विज्ञान के अध्यापक के रूप में काम करने लगे। इन सब के बावजूद ऋषिकेश मुखर्जी का ध्यान थिएटर की ओर जाता रहा। 40 के दशक में ऋषिकेश मुखर्जी ने अपने सिने करियर की शुरुआत न्यू थिएटर में बतौर कैमरामैन से की।

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ऋषिकेश मुखर्जी की प्रतिभा को सही आकार देने में प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक विमल राय का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। मुखर्जी ने 1951 में फिल्म 'दो बीघा जमीन' में विमल रॉय के सहायक के रूप में काम किया था। विमल राय के साथ 6 साल तक काम करने के बाद ऋषिकेश मुखर्जी ने 1957 में मुसाफिर फिल्म से अपने निर्देशन कॅरियर की शुरुआत की। फिल्म तो टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई पर ऋषिकेश मुखर्जी की प्रतिभा को बल मिलने लगा। 1959 में ऋषिकेश मुखर्जी को राज कपूर के साथ काम करने का मौका मिला फिल्म था। 'अनाड़ी' फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई और ऋषिकेश मुखर्जी फिल्म इंडस्ट्री के बड़े नाम बन गए। 1960 में ऋषिकेश मुखर्जी की एक और फिल्म 'अनुराधा' आई जो भले ही टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई लेकिन राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ ही बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में भी इसे सम्मानित किया गया।


भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में ऋषिकेश मुखर्जी का अंदाज सबसे जुदा था। उन्होंने हर फिल्म में जीने की फिलॉसफी देने की कोशिश की। अपनी फिल्मों में हंसते-हंसाते जीवन के सच से भी वह रूबरू करा देते थे। कहा जाता है कि ऋषिकेश मुखर्जी फिल्मों की स्क्रिप्ट में डूब जाते थे और तब फिल्मों का निर्माण करते थे। यह उनकी सादगी का भी प्रतिनिधित्व करता था। ऋषिकेश मुखर्जी ने अपनी फिल्मों के जरिए कई कलाकारों को स्टार बनाया जिसमें धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, अमोल पालेकर व जया भादुड़ी जैसे सितारे शामिल हैं। ऋषिकेश मुखर्जी ने मानवीय पहलुओं पर फिल्म बनाने के साथ-साथ मनोरंजन के पक्ष को भी कभी अनदेखा नहीं किया। यही कारण है कि उनकी फिल्में आज भी लोगों में लोकप्रिय है।

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आनंद, गोलमाल, बावर्ची, नमक हराम, अभिमान, बुड्ढा मिल गया, गुड्डी, मिली, सत्य काम, चुपके-चुपके और अनाड़ी ऋषिकेश मुखर्जी की महत्वपूर्ण फिल्में थी। अभिनय ही नहीं बल्कि गानों के फिल्मांकन में भी ऋषिकेश मुखर्जी बेजोड़ थे। उनकी फिल्मों के गाने भी लोगों को खूब पसंद आते थे। हिंदी सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए ऋषिकेश मुखर्जी को कई सर्वोच्च सम्मानों से सम्मानित किया गया। इन महत्वपूर्ण सम्मानों में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और पद्म विभूषण भी शामिल है। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 7 बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। अपनी फिल्मों के जरिए लगभग तीन दशक तक दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने वाले ऋषिकेश मुखर्जी 27 अगस्त 2006 को इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन उनकी फिल्में आज भी उन्हें हम सबके बीच लोकप्रिय किए हुए है।


- अंकित सिंह

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