यदि कोई किसी लड़की का पीछा करे तो जानिए कहां और कैसे करें शिकायत और किस तरह से पाएं इस अप्रत्याशित स्थिति से छुटकारा

By कमलेश पांडे | May 16, 2023

आम तौर पर देश में लड़कियां आए दिन किसी न किसी तरह की स्टॉकिंग यानी छेड़खानी जैसी दिक्कतों से गुजरती रहती हैं। चाहे वो आम परिवार से हों या खास परिवार से, ऐसी घटनाएं प्रायः सभी के साथ घटती हैं, कभी न कभी।ऐसे में सामाजिक रूप से संवेदनशील हर किसी व्यक्ति के मन में यह सवाल आता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी लड़की/महिला का पीछा करे है तो अविलम्ब उसे क्या करना चाहिए। इस बात की कहां और कैसे शिकायत करनी चाहिए। इसके अलावा, और वह तत्काल क्या करें कि इस अप्रत्याशित स्थिति से उसे अविलम्ब छुटकारा मिल जाए।


बता दें कि किसी भी लड़की/महिला का पीछा करना, उसके साथ जबरदस्ती दोस्ती करने का प्रयत्न करना कानून गलत है। ऐसा करना भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए महिलाओं के साथ होने वाली किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामले जब भी कानूनी तौर पर दर्ज किये जाते हैं तो पुलिस अक्सर ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज करती है और फिर अपनी पुलिसिया कार्रवाई तेज कर देती है।


# जानिए, आखिर में क्या है धारा 354 और इसके तहत क्या क्या प्रावधान किया गया है?


जहां भी स्त्री की मर्यादा, उसके मान-सम्मान को क्षति पहुंचाने के लिए उस पर हमला किया गया हो या फिर उसके साथ गलत मंशा से जोर जबरदस्ती आदि की गई हो, तो प्रायः ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ भादवि (आईपीसी) की धारा 354 के तहत मुकदमा कायम किया जाता है। इसके तहत आरोपी पर दोष सिद्धि हो जाने पर 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों तरह की सजा हो सकती है।


कानून के जानकार बताते हैं कि आईपीसी की धारा-354 को 4 कैटेगरी में बांटा गया है। वे हैं- A, B, C और D

किसी लड़की/महिला का पीछा करने पर आईपीसी की धारा 354डी के तहत केस दर्ज किया जाता है। यदि कोई पुरुष किसी स्त्री का पीछा किसी गलत इरादे से करता है तो वह इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा। इस धारा में यह स्पष्ट उल्लिखित है कि पहली बार ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर दोषी को 3 साल तक की जेल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं, दूसरी बार इस तरह के अपराध में दोषी पाए जाने पर अपराधी को 5 साल तक की जेल और जुर्माने या फिर दोनों तरह से दंडित किया जा सकता है।

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# यदि कोई किसी लड़की का पीछा कर रहा है तो फौरन टोलफ्री सहायता नम्बर 1091 पर कॉल कीजिए


अमूमन लड़कियां आए दिन स्टॉकिंग/छेड़खानी जैसी दिक्कतों से गुजरती हुई पाई जाती है। ऐसे में उन्हें सलाह दिया जाता है कि अगर कोई आपका पीछा कर रहा है तो सबसे पहले आप निकटवर्ती पुलिस स्टेशन जाएं और अपनी शिकायत वहां पर दर्ज कराएं। और हां, अगर वहां से पुलिस स्टेशन दूर है तो ऐसे समय में 1091 नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करवाएं। वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग की वेबसाइट पर जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।


हां, यहां पर यह बात ध्यान में रखना जरूरी है कि अगर किसी को कानून की तरफ से किसी लड़की की सुरक्षा के लिए कोई आदेश मिला है तो वह किसी भी सूरत में स्टॉकिंग नहीं कहलाएगा, लेकिन इसके लिए उसे साबित करना होगा कि उसे पीछा करने का कोई आदेश मिला है।


# इस तरह की नाजायज हरकतों के लिए एक हद तक जिम्मेदार हैं बॉलीवुड की फिल्में भी


कहते हैं कि मनुष्य जो देखता है, वही करने की कोशिश करता है, चाहे वह गलत कार्य ही क्यों नहीं हो। जैसे पढ़े-लिखे लोग अच्छे कार्यों की नकल करते हैं, वैसे ही अनपढ़ लोग भी बुरी लतों की नकल करते हैं। जिस तरह से किसी लड़की का पीछा करना, जबरदस्ती दोस्ती करने की कोशिश करना जैसी कुछ दृश्य/चीजें और उसको करने के भांति भांति के तरीके बॉलीवुड की फिल्मों में दिखाई जाती हैं, उसका नकारात्मक असर अपेक्षाकृत सभ्य व सुशील समझे जाने वाले भारतीय समाज पर भी पड़ा है। हमारा फ़िल्म सेंसर बोर्ड भले ही इन्हें प्यार के इजहार के लिए अपनाए जाने वाले मनोरंजक तौर तरीके समझता रहे, लेकिन जिस तरह से हिंदी फिल्मों में छेड़छाड़ को ग्लोरिफाई करने की कोशिश होती है, उसका गहरा असर हमारे समाज पर भी देखने को मिलता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि ऐसी शिक्षा, साहित्य और कुसंस्कार को कानूनन हतोत्साहित करे। इसी में भारत का व्यापक हित है।


# कुछ उदाहरण से समझिये इस कानून की गम्भीरता को


कानून के जानकार बताते हैं कि साल 2022 में एक नाबालिग लड़की का पीछा करने पर मुंबई की एक मेट्रोपोलिटन अदालत ने एक शख्स को IPC की धारा 354 D के तहत दोषी ठहराया था। तब उसे दो साल जेल की सजा भी सुनाई गई थी। तब दोषी ने कोर्ट में यह तर्क दिया था कि वो अपने काम की वजह से सेम रूट का इस्तेमाल करता था। हालांकि कोर्ट ने उसके द्वारा दिये हुए इस अनर्गल तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि लड़की को पता होता है कि कौन उसका पीछा कर रहा है और कौन बस रास्ते से गुजर रहा है।


इसके अलावा, रूपन देओल बजाज बनाम केपीएस गिल के केस से आप अवगत ही होंगे। यह केस वर्ष 1980 के दशक के अंतिम दौर में सुपरकॉप के नाम से मशहूर पुलिस अधिकारी केपीएस गिल और एक सीनियर महिला आईएएस अधिकारी रूपन देओल बजाज के बीच हुआ था 18 जुलाई 1988 को, तब गिल पंजाब के पुलिस महानिदेशक हुआ करते थे। वहीं, रूपन देओल बजाज पंजाब के फाइनेंस डिपार्टमेंट में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थीं। उन दिनों गृह सचिव की मेज़बानी में आयोजित एक पार्टी में रुपन देओल भी गई थीं। तब हुए एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद देओल ने आरोप लगाया था कि "रात्रि के करीब 10:00 बजे होंगे। उस समय गिल ने उन्हें बुलाया और कहा कि वो कुछ बात करना चाहते हैं। इसके बाद उन्होंने अपनी उंगली से उनकी ओर इशारा करते हुए कहा कि खड़ी हो जाओ और मेरे साथ चलो। जब वो चल रही थीं तो गिल ने उनके पीछे हाथ मारा।" तब यह देओल को बहुत बुरा लगा। प्रतिक्रिया स्वरूप उन्होंने गिल के खिलाफ IPC की धारा 341, 342, 352, 354 और 509 के मुकदमा दर्ज कराया। चूंकि यह छेड़खानी से जुड़ा मामला था। इसलिए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिल को 3 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। 


अब आप यह समझ सकते हैं कि यह कानून कितना कड़ा और कारगर है किसी लड़की/महिला के हित में। इसलिए इस बारे में जनजागरूकता फैलाइये, पीड़ितों को न्याय दिलवाइए।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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