भारत की अर्थव्यवस्था पर IMF एमडी ने दिया फील गुड वाला बयान, कहा- आने वाले वर्षों में दुनिया पर छोड़ेगा अपनी गहरी छाप

By अभिनय आकाश | Oct 13, 2022

आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि भारत "जी 20 देशों का नेतृत्व कर रहा है और आने वाले वर्षों में वो दुनिया पर अपनी गहरी छाप छोड़ेगा। भारत 1 दिसंबर 2022 से एक वर्ष के लिए जी20 की अध्यक्षता करेगा। इसकी अध्यक्षता में भारत द्वारा देश भर में जी20 की 200 से अधिक बैठकों की मेजबानी करने की उम्मीद है। राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के स्तर पर जी20 नेताओं का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाला है। 

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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक के मौके पर यहां पत्रकारों से बात करते हुए जॉर्जीवा ने कहा, "भारत इस गहरे क्षितिज पर एक उज्ज्वल स्थान पाने का हकदार है क्योंकि ये एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह विकास संरचनात्मक सुधारों पर आधारित है। जॉर्जीवा ने कहा कि संरचनात्मक सुधारों में प्रमुख हैं। डिजिटल आईडी से लेकर डिजिटल एक्सेस के आधार पर सभी सेवाएं और समर्थन प्रदान करने तक भारत ने डिजिटलीकरण में "उल्लेखनीय सफलता" पाई है। 

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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे समय में फलफूल रही है जब दुनिया मंदी की संभावना का सामना कर रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे समय में तेजी से बढ़ रही है जब दुनिया मंदी की आशंका से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि भारत में 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था को छूने की क्षमता है। अगर कुछ ठोस कदम उठाए जाते हैं, तो जल्द ही आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश पर जोर देना होगा। पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा कि भारत में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि मेरा मतलब है, हमने अतीत में कई देशों को बहुत तेजी से बढ़ते और तेजी से बढ़ते हुए भी देखा है। उन्होंने कहा कि कई देशों के लिए 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना थोड़ा मुश्किल है लेकिन भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। ऐसा करने के लिए, भारत को कई संरचनात्मक सुधार करने की आवश्यकता है। 

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