Prabhasakshi Newsroom। श्रीलंका में शूट-ऑन-साइट का ऑर्डर, सैनिक भेजने की खबरों का भारत ने किया खंडन

By अनुराग गुप्ता | May 11, 2022

श्रीलंका के हालात बेकाबू हो गए हैं। श्रीलंकाई लोगो को गुस्सा लगातार राजपक्षे परिवार के खिलाफ बढ़ता जा रहा है और अफवाह फैल गई कि पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे अपने परिवार के साथ भारत भाग गए हैं। हालांकि श्रीलंका में स्थित भारतीय उच्चायोग ने इन खबरों को फर्जी करार दिया है। श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के चलते सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज होने के बीच महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 

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भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में बताया कि उच्चायोग ने हाल में सोशल मीडिया और मीडिया के कुछ हिस्सों में फैलाई जा रही अफवाहों का संज्ञान लिया है कि कुछ राजनीतिक व्यक्ति और उनके परिवार भारत भाग गए हैं। भारतीय उच्चायोग ने कहा कि ये फर्जी और बिल्कुल झूठी खबरें हैं, जिनमें कोई सच्चाई नहीं है। उच्चायोग इनका पुरजोर खंडन करता है। इसके साथ ही श्रीलंका में चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर भारत का रुख सामने आया है। भारतीय उच्चायोग ने कहा कि भारत, श्रीलंका के लोकतंत्र का पूरा समर्थन करता है। साथ ही भारत के श्रीलंका में सैनिक भेजने की खबरों का खंडन किया।

दंगाइयों को गोली मारने का आदेश

श्रीलंका में लागू कर्फ्यू को 12 मई की सुबह सात बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया है और रक्षा मंत्रालय ने थल सेना, वायुसेना और नौसेना कर्मियों को सार्वजनिक संपत्ति को लूटने या आम लोगों को चोट पहुंचाने वाले किसी भी दंगाई को गोली मारने का आदेश जारी किया है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा लोगों से हिंसा और बदले की भावना वाले कृत्य रोकने की अपील के बाद मंत्रालय का यह आदेश सामने आया है। श्रीलंका के रक्षा सचिव जनरल (सेवानिवृत्त) कमल गुनारत्न ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने और हिंसा नहीं करने का अनुरोध किया है। उन्होंने चेताया कि अगर सार्वजनिक संपत्ति की लूटपाट और नुकसान पहुंचाना जारी रहा तो रक्षा मंत्रालय कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्ती बरतने को मजबूर होगा।

प्रदर्शनकारियों ने एयरपोर्ट जाने वाली सड़क को घेरा

प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे परिवार के वफादारों को देश से भागने से रोकने के लिए कोलंबो में भंडारनायके इंटरनेशनल एयरपोर्ट की ओर जाने वाली सड़क पर एक चौकी स्थापित की। देश के सबसे खराब आर्थिक संकट को लेकर देश में सरकार के खिलाफ हिंसा और व्यापक प्रदर्शन का सिलसिला भी जारी है। श्रीलंकाई लोगों पर सबसे ज्यादा महंगाई की मार पड़ रही है और उन्हें अनाज-दूध जैसी जरूरी खाद्य सामानों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। जिसकी वजह से परेशान लोग सड़कों पर उतर आए हैं। 

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विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदर्शनकारियों और विपक्ष के दबाव के चलते महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दिया है। इसके बाद भी हिंसक प्रदर्शन रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने हंबनटोटा में स्थित महिंदा राजपक्षे के पुश्तैनी आवास को आग के हवाले कर दिया। बताया जा रहा है कि अब तक 12 से ज्यादा मंत्रियों के घरों को जलाया जा चुका है और इस तरह की हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 200 से ज्यादा लोग जख्मी बताए जा रहे हैं।

आर्थिक संकट में कैसे फंसा श्रीलंका ?

श्रीलंका के हालात बदतर होने के पीछे कोरोना महामारी जिम्मेदार है। क्योंकि कोरोना संकट के बीच श्रीलंका पर विदेशी कर्ज बढ़ता चला गया और तो और राजपक्षे सरकार ने साल 2019 में चुनावी वादे को पूरा करने के लिए टैक्स में कटौती की। जिसकी बदौलत मौजूदा समय में खाद्य सामानों के दामों में भारी इजाफा हो गया और पेट्रोल-डीजल की भारी कमी भी। हाल के वर्षों में अर्जेंटीना और वेनेजुएला जैसे देशों पर भी आर्थिक संकट की मार पड़ चुकी है। वेनेजुएला के हाल तो इतने बदतर हो गए थे कि वहां की सरकार को 10 लाख बोलिवर का नोट तक छापना पड़ा था। इसके अतिरिक्त वहां पर एक कप कॉफी की कीमत तकरीबन 25 लाख बोलिवर तक हो गई थी। इससे आप अंदेशा लगा सकते हैं कि हालात कितने ज्यादा असामान्य हो गए थे।

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