By अभिनय आकाश | May 23, 2025
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को अधमरा कर दिया था। लेकिन पीएम मोदी के बात तो अब केवल पीओके को लेकर ही होगी वाले बयान ने तो पाकिस्तान का डेथ वारंट साइन कर दिया है। पाकिस्तान में इतनी घबराहट है कि शहबाज शरीफ ने कहा है कि हम अमेरिका की निगरानी में किसी तीसरे देश में बैठकर भारत से बातचीत करना चाहते हैं। शहबाज शरीफ ने कहा है कि ये तीसरा देश सऊदी अरब या संयुक्त अरब अमीरात होना चाहिए। लेकिन इसके तुरंत बाद पाकिस्तान की सीमा के पास बीकानेर में जाकर पीएम मोदी ने ऐसा बयान दे दिया। जिसने पाकिस्तान में भूचाल ला दिया है। पीएम मोदी ने कहा है कि अब पाकिस्तान के साथ ट्रेड और टॉक नहीं होगी और अब बात होगी तो पीओके पर ही होगी।
ऐसे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को लग रहा है कि भारत ने पीओके में कोई एक्शन लिया तो भारत को इजरायल का पूरा समर्थन मिलेगा। शहबाज शरीफ ने दावा किया है कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले इजरायल के 150 सैन्य अधिकारी चुपचाप भारत आए थे। इन इजरायली सैनिकों ने भारत को कुछ राज बताए और भारत की मदद की। आपको बता दें कि ये दावे शहबाज शरीफ के हैं। लेकिन अगर ये दावे सही हैं तो भारत बहुत बड़ा खेल करने जा रहा है। दरअसल, भारत को डर है कि भारत पीओके में कुछ न कुछ करने वाला है।
पर्दे के पीछे तैयारी चल रही है और भारत के मिशन पीओके में इजरायल एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। पाकिस्तान को लग रहा है कि अगर भारत पीओके में एक्शन लेता है। तो भारत को हर जरूरी मदद, हथियार और जानकारी इजरायल दे सकता है। शहबाज शरीफ ने पहली बार कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर में इजरायल ने भारत को पूरा समर्थन दिया है। एक इंटरव्यू में शहबाज शरीफ ने बयान दिया कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले ही इजरायल के 150 ट्रेंड सैनिक भारत पहुंच गए थे।
शहबाज शरीफ ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध कभी भी स्थायी समाधान नहीं होता। उन्होंने कहा कि एक पक्ष जीत सकता है, लेकिन दूसरा पक्ष हमेशा पीड़ित होता है। इसलिए, सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए स्थायी शांति ही एकमात्र तरीका है। उन्होंने संघर्ष के बजाय संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके अनुसार, शांति वार्ता ही आगे बढ़ने का बेहतर रास्ता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत के बीच भविष्य की वार्ता में चार मुख्य मुद्दे शामिल होंगे। ये हैं कश्मीर, पानी, व्यापार और आतंकवाद। हालांकि, भारत इन वार्ताओं में किसी तीसरे पक्ष को शामिल करने से इनकार करता है। फिर भी, प्रधानमंत्री का मानना है कि वार्ता के लिए तटस्थ देश चुनने से प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
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