कांवड़ियों को उपद्रवी कहना गलत... सीएम योगी बोले- यह श्रद्धालुओं को बदनाम करने की कोशिश

By अंकित सिंह | Jul 18, 2025

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि कांवड़ यात्रा के तीर्थयात्रियों को मीडिया ट्रायल से गुजरना पड़ता है, उन्हें बदनामकिया जाता है और यहां तक कि अपराधी और आतंकवादी करार दिया जाता है। योगी ने कहा कि निम्नतम वर्ग से लेकर उच्च वर्ग तक, हर व्यक्ति इस कांवड़ यात्रा से जुड़ा है। यह एकता का अद्भुत प्रदर्शन है। इसमें जाति, क्षेत्र, वर्ग, धर्म या समुदाय का कोई भेदभाव नहीं है। हालांकि, मीडिया ट्रायल हो रहा है और कांवड़ यात्रा को बदनाम किया जा रहा है। 

 

इसे भी पढ़ें: 50 मृत नदियों को जीवित कर योगी ने किया कमाल, UP सरकार के अभियान से दोबारा जीवनदायिनी बनीं 50 छोटी नदियां, 3363 किमी नदियों का हुआ कायाकल्प


योगी ने आगे कहा कि कांवड़ यात्रियों को अपराधी और आतंकवादी तक करार दिया जा रहा है। यह उस मानसिकता को दर्शाता है जो हर तरह से भारत की विरासत को कलंकित करना चाहती है। कांवड़ यात्रा भारत में एक प्रमुख वार्षिक हिंदू तीर्थयात्रा है, जिसके दौरान भगवान शिव के भक्त, जिन्हें कांवड़िये कहा जाता है, गंगा जैसी पवित्र नदियों से पवित्र जल इकट्ठा करने के लिए पैदल यात्रा करते हैं और उसे श्रावण के पवित्र महीने में शिव मंदिरों, विशेष रूप से शिवलिंगों पर चढ़ाने के लिए वापस ले जाते हैं।

 

इसे भी पढ़ें: UP में विद्यालय विलय नीति का विरोध करने वाले बच्चों के भविष्य पर राजनीति कर रहे हैं


यह यात्रा आध्यात्मिकता, धैर्य और उत्सव का मिश्रण है, लेकिन कई बार यह झड़पों, शोरगुल वाले जुलूसों और सड़क अवरोधों से भी जुड़ी रही है, जिसके कारण इसकी आलोचना हुई है और नियमन की मांग की गई है। इस दौरान उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा और दिल्ली जैसे उत्तरी भारतीय राज्यों में यातायात परिवर्तन और सार्वजनिक सुरक्षा उपायों सहित व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।

प्रमुख खबरें

Tara Sutaria और Veer Pahariya ने बताई अपनी पहली डेट की पूरी कहानी

Kerala local body polls: तिरुवनंतपुरम में बीजेपी की बंपर जीत, PM मोदी गद-गद, कहा- केरल की राजनीति के लिए ऐतिहासिक पल

तनाव से लेकर पीरियड्स के दर्द में राहत मिलेगी!बस पिएं गेदे के फूल की चाय, जानिए इसे बनाने का सही तरीका

Yes Milord: पिता नहीं, मां की जाति पर प्रमाणपत्र, CJI सूर्यकांत के फैसले ने कैसे बदल दी सदियों पुरानी परंपरा