50 मृत नदियों को जीवित कर योगी ने किया कमाल, UP सरकार के अभियान से दोबारा जीवनदायिनी बनीं 50 छोटी नदियां, 3363 किमी नदियों का हुआ कायाकल्प

देखा जाये तो नदियों के पुनरुद्धार से सिर्फ पर्यावरण ही नहीं सुधरा बल्कि कई स्थानों पर इन जलधाराओं से जुड़े सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का महत्व भी बढ़ा है। लोग अब इन जलस्रोतों को लेकर जागरूक हुए हैं और स्थानीय स्तर पर भी संरक्षण के प्रयासों में सहभागिता निभा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की जल संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण की योजनाएं अब जमीन पर असर दिखा रही हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम और मनरेगा के तहत किए जा रहे प्रयासों से राज्य की सूखी व विलुप्तप्राय नदियों में फिर से जीवन लौटने लगा है। हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में अब तक 3363 किलोमीटर लंबाई में कुल 50 नदियों का कायाकल्प किया जा चुका है, जिससे गांवों को नई ऊर्जा और किसानों को सिंचाई का बेहतर साधन मिल रहा है।
हम आपको बता दें कि योगी सरकार ने जल संरक्षण को लेकर विशेष पहल करते हुए 1011 गंगा ग्राम पंचायतों में छोटी नदियों व जलधाराओं का पुनरुद्धार कराया है। इन जलस्रोतों को न केवल साफ-सुथरा किया गया, बल्कि उनकी प्राकृतिक धारा को भी पुनर्जीवित किया गया। इससे इन क्षेत्रों में जल स्तर में सुधार हुआ है और आसपास के किसानों को बड़ी राहत मिली है। मनरेगा के तहत 86 अन्य कार्यों को चिह्नित कर नदियों की साफ-सफाई, गहरीकरण, तटबंध निर्माण, पौधरोपण, जलधारा पुनर्स्थापन और जलग्रहण क्षेत्र विकास जैसे कार्य किए गए जिनका व्यापक असर देखने को मिला है।
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देखा जाये तो नदियों के पुनरुद्धार से सिर्फ पर्यावरण ही नहीं सुधरा बल्कि कई स्थानों पर इन जलधाराओं से जुड़े सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का महत्व भी बढ़ा है। लोग अब इन जलस्रोतों को लेकर जागरूक हुए हैं और स्थानीय स्तर पर भी संरक्षण के प्रयासों में सहभागिता निभा रहे हैं। योगी सरकार की यह पहल उत्तर प्रदेश को जल संकट से उबारने, ग्रामीणों को रोजगार देने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने की एक सशक्त व कारगर रणनीति बनकर उभरी है।
हम आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने नदियों के संरक्षण और पुनर्जीवन को अपनी प्राथमिकता में रखा है। जिन छोटी-छोटी नदियों को लोग लगभग भूला चुके थे, जिन्हें नाले या गंदगी के अड्डे के रूप में देखा जाने लगा था, आज उन्हीं नदियों में फिर से स्वच्छ जलधारा बहने लगी है। यह केवल पर्यावरणीय सफलता नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रमाण है। इसका सबसे ताजा और सकारात्मक उदाहरण फिरोजाबाद जिले में देखने को मिल रहा है, जहां वर्षों बाद नदियों का पुनर्जीवन स्थानीय जनता के लिए आशा और उत्साह का कारण बन रहा है।
फिरोजाबाद के सिरसागंज, शिकोहाबाद और टूंडला क्षेत्र में बहने वाली 108 किलोमीटर लंबी सिरसा जैसी छोटी नदियां गंदगी, अतिक्रमण और जलस्रोतों के सूख जाने के कारण लगभग मृतप्राय हो चुकी थीं। नदियों में गंदा पानी, प्लास्टिक, सीवर ने प्राकृतिक जलधारा को खत्म कर दिया था। इससे क्षेत्र में भूजल का स्तर गिर गया, खेती के लिए पानी की भारी समस्या बनी। इसको देखते हुए योगी सरकार ने 'नमामि गंगे मिशन' और 'संचारी जलशक्ति अभियान' के तहत इन नदियों को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया। नदियों से अतिक्रमण हटाया गया। क्लीनिंग, डी-सिल्टिंग (गाद हटाना), गंदे नालों का पानी रोककर ट्रीटमेंट के बाद छोड़ा गया। अब बारिश के पानी को संग्रह कर नदी में छोड़ा जा रहा है ताकि जलधारा स्थायी बनी रहे। फिरोजाबाद के लोग दशकों से जिस नदी को मृत मान चुके थे, अब उसे बहते देखना किसी चमत्कार से कम नहीं मानते। देखा जाये तो योगी सरकार का यह अभियान सिर्फ नदियों को ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्जीवित करने का मॉडल बन रहा है। फिरोजाबाद से लेकर पूर्वांचल और बुंदेलखंड तक, हर नदी के पुनर्जीवन से गांव-गांव में भरोसा लौटा है कि सरकार यदि चाहे तो मरी हुई नदी में भी फिर से जीवन बह सकता है। उत्तर प्रदेश अब जल संरक्षण और नदी पुनर्जीवन का आदर्श राज्य बनता जा रहा है।
नदियों के पुनर्जीवन से होने वाले प्रभाव पर गौर करें तो आपको बता दें कि आस-पास का इलाका पहले जलस्रोत न रहने से बंजर बनने की कगार पर था। पुनर्जीवित नदियों से अब सिंचाई सुविधाएं बेहतर हो रही हैं। इससे कृषि उत्पादन बढ़ रहा है, खेती लागत घट रही है। साथ ही जहां नदी बहती है, वहां मत्स्य पालन, पर्यटन, औषधीय पौधों की खेती, छोटे उद्योगों के लिये नए अवसर बनते हैं। इससे ग्रामीण युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
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