जीतू पटवारी का दावा, कमलनाथ सरकार को ब्लैकमेल करते थे सिंधिया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 26, 2020

इंदौर। राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोलते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने बुधवार को आरोप लगाया कि सिंधिया अपनी विभिन्न मांगें पूरी कराने के लिये सूबे में कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस की पिछली सरकार पर अनुचित दबाव बनाते थे। सिंधिया मार्च में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे और वह संसद के ऊपरी सदन के लिये चुने गये हैं। पटवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, सिंधिया हमारे साथ (पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार) भी ब्लैकमेलिंग करते थे और यही ब्लैकमेलिंग अब मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी होने लगी है। पटवारी, प्रदेश कांग्रेस समिति के मीडिया विभाग के प्रमुख भी हैं। उन्होंने कहा, (भाजपा में शामिल होने के बाद) सिंधिया ने भ्रष्टाचार की बातें की हैं और इस सिलसिले में (पूर्व मुख्यमंत्री) कमलनाथ पर आरोप भी लगाये हैं। लेकिन आपने तत्कालीन कमलनाथ सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में एक संस्था के लिये 100 एकड़ जमीन आवंटित करा ली थी। मैं भी मंत्री के तौर पर इस बैठक का हिस्सा था। 

इसे भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के एक दिन में सर्वाधिक 1374 नए मामले, 19 लोगों की मौत

पटवारी ने हालांकि कथित जमीन आवंटन मामले का विशिष्ट और विस्तृत ब्योरा नहीं दिया। लेकिन इस मामले में सिंधिया पर निशाना साधते हुए सवाल दागा, यह (कथित जमीन आवंटन) भ्रष्टाचार था या जनसेवा थी? इंदौर के राऊ क्षेत्र के कांग्रेस विधायक ने कहा, सिंधिया ने (दल बदल कर) बता दिया है कि वह विपक्ष में रहकर बहादुरी से लड़ नहीं सकते और उनके मन में डर है। वह बेनकाब हो गये हैं। इस सवाल का जवाब जनता ही देगी कि वह खुद्दार हैं या ‘गद्दार’? पटवारी ने राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं के मासिक बिजली बिलों की रकम 200 रुपये तक सीमित करने और हाल की भारी बारिश व कीटों से सोयाबीन की खड़ी फसल की बर्बादी झेल रहे किसानों को 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा देने की मांग भी की। उन्होंने चेताया, सूबे की भाजपा सरकार ने हमारी ये मांगें नहीं मानीं, तो कांग्रेस आम लोगों के हित में सड़क पर उतरकर चक्काजाम करेगी। गौरतलब है कि सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गयी थी। इस कारण कमलनाथ को 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा 23 मार्च को सत्ता में लौट आयी थी।

प्रमुख खबरें

दिल्ली कांग्रेस ने फर्जी खबरें फैलाने के लिए भाजपा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई

Odisha को मोदी सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए एक ऊर्जावान सरकार की जरूरत है: Jaishankar

Southern Brazil में भीषण बाढ़ के कारण कम से कम 39 लोगों की मौत

Amit Shah आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में आज चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे