जुमलों की जलेबी...!! (कविता)

By तारकेश कुमार ओझा | May 21, 2020

कवि ने इस कविता के माध्यम से यह बताना की कोशिश की है कि इस समय देश में नेताओं ने द्वारा जो आवश्वासन देश की जनता को दिये जा रहे हैं वह केवल आवश्वासन है इसके अलावा कुछ नहीं है। देश में चल रही आश्वासनों की आंधी पर पेश है खांटी खड़गपुरिया की चंद लाइनें...


बकलौली की बूंदी 

राहत के रसगुल्ले 

जुमलों की जलेबी 

आश्वासनों के गुलाब जामुन 

तृप्त हो गई जनता 

अब बस भी करो भले मानुष 

बचपन में भूखे पेट बहुत सुनी 

राजा-महाराजा की कहानियाँ 

ठंड से ठिठुरता शरीर 

बातों में रजाइयां


- तारकेश कुमार ओझा

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