मत रो मेरे मुन्ना प्यारे (बाल कविता)

By अमृता गोस्वामी | Feb 19, 2019

वरिष्ठ लेखिका अमृता गोस्वामी की ओर से प्रेषित कविता 'मत रो मेरे मुन्ना प्यारे' में माँ और बच्चे की भावनाओं का प्रकटीकरण किया गया है।

 

मुन्ना सोया था रात में,  

चंदामामा आए ख्वाब में।

 

न जाने क्या बात हो गई,

दोनो में अनबन हो गई।

 

मुन्ना रूठ गया चंदा से,

बोला नहीं बोलता तुमसे।

 

चंदा बोला जाता हूं मैं,

कभी न अब आऊंगा मैं।

 

रात अचानक गहरी हो गई,

रोशनी चंदा की खो गई।

 

मौसम जैसे बदल रहा था,

रजाई में भी जाड़ा लग रहा था।

 

आसमान सूना हो गया था,

समुन्दर गुमसुम रो रहा था।

 

मुन्ना डर गया सपने में,

लाऊं कहां से चंदा अब में।

 

नींद में ही बोला मुन्ना,

लोरी सुनाओ मुझको मम्मा।

 

मम्मा कहां से लाए लोरी,

चंदा संग चली गई लोरी।

 

मुन्ना रोने लगा जोर से,

चंदामामा आओ कहीं से।

 

अब न कभी रूठूंगा तुमसे,

न हो नाराज मामा मुझसे।

 

सुनकर मुन्ना की पुकार,

चंदामामा भूल गए तकरार!

 

निकले झट बादल से बाहर,

बोले पास मुन्ना के आकर।

 

चंदामामा हैं साथ तुम्हारे,

मत रो मेरे मुन्ना प्यारे।

 

-अमृता गोस्वामी

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