By टीम प्रभासाक्षी | Dec 10, 2021
तमिलनाडु हेलीकॉप्टर क्रैश में अपनी जान गवाने वाले देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा। जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के पार्थिव शरीर को उनके आवास लाया गया है, जहां अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को रखा जाएगा। इसके बाद शाम 4 बजे उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा। देश का हर जवान देश की सुरक्षा में तैनात रहता है और अपने प्राण की बाजी लगाने से पहले भी वो एक बार भी नहीं सोचता। देश के लिए बलिदान हो जाने वाले सैनिकों की अंतिम विदाई और अंतिम संस्कार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाता है। आइए जानते हैं कि किन प्रक्रियाओं से इस दौरान गुजरना पड़ता है।
जब कोई जवान शहीद होता है उसका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाता है। सबसे पहले शहीद जवान के पार्थिव शरीर को उनके स्थानीय आवास पर भेजा जाता है इसके साथ सेना के जवान भी होते हैं। अंत्येष्टि के दौरान राजकीय सम्मान के साथ पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा जाता है। आपको यह भी बता दें कि भारतीय झंडा संहिता 2002 के मुताबिक, राष्ट्रीय ध्वज को केवल सैनिकों यार आज की सम्मान के वक्त शवों को लपेटने के लिए ही उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा किसी भी मृतक के शरीर को लपेटने के लिए झंडे का उपयोग नहीं किया जाता।पार्थिव शरीर पर झंडा लगाने का भी एक खास नियम होता है। इस दौरान झंडे को शवों वाली पेटी पर रखा जाता है और झंडे का केसरिया भाग शवों वाली पेटी के अगले हिस्से की तरफ होता है। यानी इस सीधा रखा जाता है ओढ़ाया नहीं जाता। इस झंडे को कभी भी जलाया या दफनाया नहीं जाता झंडे को अंतिम संस्कार के वक्त गीत के परिवार को दे दिया जाता है।
अंतिम संस्कार के दौरान मिलिट्री बैंड की ओर से शोक संगीत बजाया जाता है। और इसके बाद बंदूकों की सलामी दी जाती है। बंदूकों की सलामी का भी एक खास तरीका होता है जिसमें बंदूक खास तरीके से झुकाई और उठाई जाती है। आपको बता दें कि राज्य, सेना, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की ओर से किए जाने वाले मृतक संस्कारों के अलावा कभी भी झंडे का प्रयोग किसी को भी किसी भी रूप में लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा। जैसे इसे किसी गाड़ी, रेल गाड़ी, कहीं भी नहीं लपेटा जाएगा।