By मिताली जैन | Aug 01, 2020
ऐसे कई पुरूष होते हैं, जिनके शुक्राणुओं की संख्या कम होती है। इसका अर्थ यह है कि संभोग के दौरान उनके वीर्य में सामान्य से कम शुक्राणु होते हैं। कम शुक्राणुओं की संख्या को ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है। अगर एक पुरूष के वीर्य में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम शुक्राणु हैं तो इससे शुक्राणु की संख्या सामान्य से कम मानी जाती है। स्पर्म काउंट कम होने पर पुरूष की साथी महिला को गर्भधारण करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। वैसे तो यह एक मेडिकल कंडीशन है और इसलिए इसके इलाज के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है। लेकिन फिर भी कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जो पुरूषों के स्पर्म काउंट में कमी का कारण बनती हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में−
मोटापा
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, कम स्पर्म काउंट अधिक बॉडी फैट और एक उच्च बीएमआई से जुड़ा होता है। मोटापा टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है, जो शुक्राणु उत्पादन को बढ़ाता है। वजन कम करना आसान नहीं है, लेकिन वजन कम करने और कमर का आकार कम करने से पुरूष को प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
मधुमेह
टाइप 2 मधुमेह, जो अक्सर अधिक वजन या मोटापे के कारण होता है, यह भी कम टेस्टोस्टेरोन के स्तर और बांझपन के साथ जुड़ा हुआ है। वजन कम करने और अपने मधुमेह का प्रबंधन करने से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में सुधार हो सकता है।
धूम्रपान
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि सिगरेट पीने से पुरूषों की प्रजनन क्षमता सीधेतौर पर प्रभावित होती है। यह पुरूषों में स्पर्म वाल्यूम से लेकर स्पर्म काउंट और स्पर्म मोटिलिटी को प्रभावित करता है। इतना ही नहीं, जो पुरूष स्पर्म काउंट को बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले स्मोकिंग से तौबा कर लेनी चाहिए। वैसे धूम्रपान के अलावा शराब पीने से भी पुरूषों में नपुंसकता हो सकती है।
हॉट टब या सौना
सुनने में आपको शायद अजीब लगे, लेकिन हॉट टब या सौना का बहुत अधिक इस्तेमाल भी पुरूषों के स्पर्म काउंट को कम करता है। शुक्राणु के निर्माण के लिए एक आदमी के अंडकोष को उसके शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में ठंडा रहना चाहिए। यही कारण है कि वे अपने शरीर के गुहा के अंदर होने के बजाय अंडकोश में बाहर लटकाते हैं। जब वह एक गर्म टब, जकूज़ी या सौना में गर्म हो जाता है, तो उसके शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है।
मिताली जैन