महंत नरेंद्र गिरी की हुई मौत पर बोले वृंदावन के महंत रितेश्वर दास, शिष्यों की काली शिक्षा के कारण खतरे में है संत

By सत्य प्रकाश | Sep 28, 2021

अयोध्या। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौत पर वृंदावन से आये महंत रितेश्वर दास ने शिष्यों पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्थान की संपत्ति और मठ को लेकर उन्हें ब्लैकमेल किया गया या तो हत्या की गई। इसकी जांच चल रही है । जल्दी सभी सबके सामने होंगे। 

 

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श्री आनंदम धाम ट्रस्ट के श्री सतगुरु रितेश्वर महाराज ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी की मौत पर कहा कि महंत नरेंद्र गिरी के मामले में दो ही घटना हो सकती है। हत्या या आत्महत्या और अगर हत्या भी है।  तो शिष्यों के नाम आएगा। और आत्महत्या भी है किसी चीज से पीड़ित होकर जैसा की बताया जाता है कि ब्लॉकमेलिंग होकर आत्महत्या कर ली ।  यह दोनों ही भारत के संत समाज के लिए और सनातन संस्कृति के लिए बड़ा भद्दा है। जो सन्त समाज सनातन संस्कृति और भारत को मार्ग दिखाता है। तनाव से मुक्ति देता है। लोगों के ऊपर उठने की बात करता है ऐसे पीठ से यह घटना हो तो बड़े ही निंदनीय और दुखद घटना है।

 

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महंत नरेंद्र गिरी की मृत्यु आत्महत्या से हुई तो मुझे लगता है कि विश्वामित्र की तरह जीवन में किसी से गलत हो तो पुनः खड़ा होकर प्रभु राम के गुरु बनने के विषय में भी सोचना चाहिए। इसलिए आत्महत्या का समर्थन हम नहीं कर सकते है। यद्यपि जिन लोगों ने मजबूर किया होगा उन्हें कठोर से कठोर सजा देनी चाहिए और अगर हत्या हुई यह बहुत बड़ी बात नहीं है ना बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया भारत में आज काले पद्धति की शिक्षा दी जा रही है या कोई गुरुकुल की शिक्षा पद्धति नहीं है उनके शिष्य भी जो पढ़ कर के आए थे वह कुछ भी गुरुकुल से नहीं आए थे और आज आश्रमों में जो भी लोग पढ़ कर के आ रहे हैं वह मैकाले की शिक्षा लेकर आ रहे हैं उनकी दृष्टि धन पर नारी पर सत्ता पर रहती है तमाम ऐसी घटनाएं होती रही हैं। रोज आश्रम कब्जा किए जा रहे हैं आज दिन तक संतों की हत्या भी हो रही है नारी को खड़ा कर उन्हें बदनाम भी किया जा रहा है और इस घटना के बाद अब शायद संतो के साथ इस प्रकार की घटनाओं की रोकथाम होगी इसके लिए सामाजिक और कानूनी कारण दोनों पर विचार करना होगा।

 

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वहीं कह कि आध्यत्मिक शिक्षा दो तीन महीने में नहीं हो सकती है। गुरुकुल में यह शिक्षा प्रदान की जाती है। पहले साढ़े तीन लाख गुरुकुल थे अब वह 100 की संख्या में ही बचे है.उन्होने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह समान नागरिक संहिता बनाये। धर्म व जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जायेगा। सबके लिए एक कानून। वैदिक सनातन परम्परा को शिक्षा में डालना होगा। रामराज्य वह है कि जहां पर निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा व न्याय मिले। अगर स्वीजरलैण्ड में यह मिलता है तो वहां रामराज्य है। जहां राम मंदिर का निर्णय आने पर 492 वर्ष लग जाये वहां कैसा रामराज्य। राममंदिर निर्माण का भारत ही नहीं पूरे विश्व पर इसका व्यापक असर पड़ेगा। 


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