By अंकित सिंह | Jul 25, 2020
बाढ़ और कोरोनावायरस संकट के बीच बिहार में राजनीतिक हलचल भी तेज है। बिहार की दोनों ही गठबंधन में खटपट की खबरें भी लगातार आती है। सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से चुनावी तैयारियां भी शुरू कर चुकी हैं। एक ओर जहां एनडीए में चिराग पासवान नाराज है तो वही महागठबंधन को जीतन राम मांझी लगातार आंखें दिखा रहे हैं। जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से चुनावी तैयारियों के बहाने आरजेडी पर हमला बोला है। हालांकि अभी भी वह आरजेडी के साथ महागठबंधन में साझीदार हैं। उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष के साथ-साथ जीतन राम मांझी भी महागठबंधन में समन्वय समिति की लगातार मांग कर रहे हैं।
जीतन राम मांझी चुनावी तैयारियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड की ही तर्ज पर वर्चुअल रैली के जरिए अपनी पार्टी के नेताओं और जनता से रूबरू हो रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने दावा किया कि समन्वय समिति की मांग को लेकर राहुल गांधी से उन्हें आश्वासन मिला है। मांझी ने कहा कि यही कारण है कि आरजेडी द्वारा किए गए मांग को अस्वीकार करने के बावजूद भी अभी तक उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मैं जानता हूं कि बहुत सारे लोग यह सोच रहे होंगे कि जीतन राम मांझी किस तरीके का आदमी है जो समन्वय समिति गठित करने की मांग को लेकर समय सीमा तय करता है लेकिन अल्टीमेटम पर ध्यान नहीं दिए जाने के बावजूद भी वह महागठबंधन में रहने की अपनी तारीख को बढ़ाए जा रहा है।
उन्होंने यह भी कह दिया कि फिलहाल वह इसलिए भी खामोश है क्योंकि उन्हें लगता है कि समन्वय समिति के मुद्दे पर गठबंधन टूट भी सकता है। लेकिन इसी दौरान मांझी ने आरजेडी और तेजस्वी यादव की मुश्किलें भी बढ़ा दी। दरअसल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से सीएम चेहरे के तौर पर तेजस्वी के नाम को खारिज कर दिया। उन्होंने यह भी कह दिया कि जब तक समन्वय समिति का गठन नहीं किया जाएगा तब तक किसी चेहरे को लेकर कोई फैसला नहीं होगा। आरजेडी पर हमला बोलते हुए मांझी ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो इसका मतलब साफ है कि वह दुराग्रह से ग्रसित है। बात बात में उन्होंने यह भी कर दिया कि फिलहाल की स्थिति में जो लोग महागठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं वह बीजेपी के कट्टर विरोधी हैं और जो इसे कमजोर कर रहा है यह मान लिया जाना चाहिए कि वह बीजेपी के बी टीम के रूप में काम कर रहा है।
जीतन राम मांझी ने वर्चुअल रैली के दौरान अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि उन्हें बिहार में महादलित के बेटे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। इस दौरान उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर महादलित बिहार का मुख्यमंत्री बनता है तो यह सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम करेगा। बाकी के नेता तो सिर्फ महादलित का वोट लेना जानते हैं। कार्यकर्ताओं के बीच इस तरीके की बात करके एक तरीके से जीतन राम मांझी ने अपनी दावेदारी भी ठोक दी है। कोरोना काल में चुनाव कराने को लेकर भी जितना मांझी ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि अगर जनता तैयार है तो चुनाव होना चाहिए। लेकिन उन्होंने इस बात की भी आशंका जताई कि महामारी के बीच चुनाव होने पर मतदान फीसद गिरेगा और अगर जबरन ऑनलाइन चुनाव हुआ तो उस में गड़बड़ी की भी हो सकती है।