प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में सप्ताह के पाँच बड़े मुद्दों का बारीक विश्लेषण

chai par sameeksha

इस सप्ताह के बड़े मुद्दों में शुमार अयोध्या को लेकर सप्ताह भर चर्चा रही कि क्या भूमि पूजन का समय शुभ है? इसके अलावा बिहार और असम में बाढ़ का हाल बेहाल रहा। राजस्थान की राजनीति में रोज नये पेंच सामने आते रहे। इसके अलावा कोरोना का संक्रमण भी तेजी से फैल रहा है।

यूँ तो यह सप्ताह राजनीतिक रूप से राजस्थान के नाम रहा लेकिन अन्य प्रदेशों में भी राजनीतिक उठापटक लगी रही। मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायकों का पार्टी छोड़ कर भाजपा में आने का क्रम जारी रहा तो महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गठबंधन में कई विवाद उभर कर सामने आते दिखे। राजस्थान में तो राज्यपाल की सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री ने ऐसा बयान दे दिया जिसकी किसी मुख्यमंत्री से कल्पना भी नहीं की जाती। अपने पूर्व उपमुख्यमंत्री को निकम्मा और नाकारा बताने वाले गहलोत ने राज्यपाल को एक तरह से चेतावनी के अंदाज में कह दिया कि यदि आपने विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया तो प्रदेश की जनता राजभवन को घेर लेगी और हम कुछ नहीं कर पाएँगे।

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राहुल गांधी की ओर से इस सप्ताह भी प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को टि्वटर के माध्यम से कठघरे में खड़ा किया जाता रहा। तो यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए प्रियंका गांधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमलावर रहीं। अयोध्या में भूमि पूजन के समय को लेकर भी कुछ पक्षों ने सवाल उठाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या जाने के फैसले को भी विवाद के घेरे में लाया गया। यही नहीं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अर्जी दायर कर भूमि पूजन रोकने की माँग की गयी, लेकिन राम का विरोध करने वालों के सारे प्रयास विफल रहे। 

देश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ता दिखा और मामले 14 लाख के आसपास पहुँच गये लेकिन पूरी दुनिया के लिहाज से देखें तो भारत सबसे कम मृत्यु दर वाला देश है यही नहीं हमारे यहाँ स्वस्थ होने वालों की दर सबसे ज्यादा है। भारत ने जाँच का दायरा तेजी से बढ़ाया है और रोजाना चार लाख लोगों तक की जाँच की जा रही है। कोरोना ने इस सप्ताह दक्षिण और पश्चिमी राज्यों में अपने पाँव ज्यादा फैलाये। इसी के चलते देश के कई हिस्सों में फिर से लॉकडाउन या अन्य तरह की पाबंदियां लगायी गयी हैं।

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असम और बिहार में बाढ़ का प्रकोप तेजी से फैला। लगा ही नहीं की प्रशासन नाम की कोई चीज भी है क्योंकि लोग अपनी जिंदगी बचाने का संघर्ष खुद ही करते नजर आये। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें तमाम तरह की राहत पहुँचाने का दावा कर रही हैं लेकिन धरातल पर कुछ खास दिखा नहीं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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