By अभिनय आकाश | Feb 10, 2025
इजरायल और हमास के बीच गाजा में फिलहाल युद्ध पर विराम लगा है। इजरायली बंधक और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई चल रही है। जो कि इस विराम में पहले चरण का मकसद था। इस बीच ट्रंप ने गाजा को कब्जाने का ऐलान किया है। इन तमाम राजनीतिक उठा पटक के बीच मिस्र में इमरजेंसी अरब समिट होने जा रही है। मिस्र में 27 फरवरी को इमरजेंसी अरब समिट आयोजित किया जाना है। जिसमें फिलिस्तिनियों को लेकर चल रहे अमेरिकी प्लान और बयानबाजी पर चर्चा की जाएगी। मिस्र के विदेश मंत्री ने इसका ऐलान किया है। इमरजेंसी समिट ऐसे समय में बुलाई गई है जब ट्रंप ने गाजा को कब्जाने की अपनी मंशा जाहिर की है। आपको बता दें कि मिस्त्र के विदेश मंत्रालय ने ऐलान किया कि मिस्र फिलिस्तीनी मुद्दे पर 27 फरवरी को एक इमरजेंसी अरब समिट की मेजबानी करेगा। जिसमें फिलिस्तीन के नए और गंभीर घटनाक्रमों पर चर्चा भी की जाएगी।
आपको बता दें कि फिलहाल अरब समिट का हेड बहरीन है और सभी मुल्कों ने चर्चा के बाद मिस्र में बैठक की योजना बनाई है। जिससे गाजा की सीमा भी लगती है। ट्रंप की कोशिश है कि गाजा से फिलिस्तीनियों को निकालकर दूसरे देशों में शिफ्ट किया जाए और इसे मीडिल ईस्ट का रिवेरा बनाया जाए। जहां पर बड़े डेवलपमेंट किए जाएंगे। ट्रंप की इस मंशा का दुनियाभर के देशों ने विरोध किया है। जिसमें सऊदी अरब समेत, मीडिल ईस्ट के देशों से भी कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। ट्रंप का कहना था कि गाजा अब पूरी तरह तबाह हो चुका है। मलबे का ढेर बन चुका है और हो सकता है कि मलबे के नीचे बम दबे हो। जहां ब्लास्ट नहीं हुए और इससे संभावित रूप से तबाही भी मच सकती है। ट्रंप ने कहा कि ऐसे में अमेरिका गाजा को टेकओवर करेगा और इस पूरे इलाके को समतल कर देगा और फिर यहां डेवलपमेंट का काम शुरू होगा। जिसका इस्तेमाल रोजगार और बड़े बिजनेस के लिए किए जा सकेंगे।
ट्रंप ने गाजा पट्टी पर नियंत्रण करने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराई। उन्होंने एयर फोर्स वन विमान में संवाददाताओं से कहा कि मैं गाजा को खरीदने और उस पर स्वामित्व के लिए प्रतिबद्ध हूं। जहां तक इसके फिर से निर्माण की बात है तो हम पश्चिम एशिया के अन्य देशों को इसके कुछ क्षेत्र निर्माण के लिए दे सकते हैं। अन्य लोग हमारे तत्वावधान में ऐसा कर सकते हैं, लेकिन हम इसे अपने स्वामित्व में लेने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि हमास वापस न लौटे।’’ ट्रंप ने कहा कि अरब देश उनसे बातचीत के बाद फलस्तीनियों को अपने यहां लेने पर सहमत हो जाएंगे और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर फलस्तीनियों के पास विकल्प होगा तो वे आसानी से गाजा छोड़ देंगे।