फलस्तीन पर मोदी सरकार की चुप्पी 'मानवता-नैतिकता का परित्याग': सोनिया गांधी का तीखा हमला

By रेनू तिवारी | Sep 25, 2025

फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता दे चुका है—जो लंबे समय से पीड़ित फ़िलिस्तीनी लोगों की वैध आकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में पहला कदम है। संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 150 से ज़्यादा देशों ने अब ऐसा कर दिया है। भारत इस मामले में अग्रणी रहा है, जिसने फ़िलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) को वर्षों के समर्थन के बाद, 18 नवंबर, 1988 को औपचारिक रूप से फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी थी। भारत का यह निर्णय मूलतः नैतिक था और हमारे विश्वदृष्टिकोण के अनुरूप था।

इसे भी पढ़ें: भारत-पाक क्रिकेट में भड़काऊ हरकतों पर हंगामा! BCCI ने हारिस रऊफ, साहिबजादा फरहान की ICC से शिकायत की, PCB ने सूर्या को घेरा

 

हाल ही में हुए हमलों के लेकर विपक्ष ने  भारत सरकार को घेरा है। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बृहस्पतिवार को फलस्तीन के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि अब भारत को नेतृत्व का परिचय देना चाहिए। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया और ‘‘गहरी चुप्पी’’ मानवता एवं नैतिकता, दोनों का परित्याग है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ के लिए लिखे लेख में कहा कि सरकार के कदम मुख्य रूप से भारत के संवैधानिक मूल्यों या उसके सामरिक हितों के बजाय इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत मित्रता से प्रेरित प्रतीत होते हैं।

इसे भी पढ़ें: शरद पवार का केंद्र पर निशाना, सवाल किया कि क्या सत्ता में बैठे लोग संवाद पर भरोसा करते हैं?

 

सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत कूटनीति की यह शैली कभी भी स्वीकार्य नहीं है और यह भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शक नहीं हो सकती। दुनिया के अन्य हिस्सों में - खासकर अमेरिका में ऐसा करने के प्रयास हाल के महीनों में सबसे दुखद और अपमानजनक तरीके से विफल हुए हैं।’’ सोनिया गांधी ने इजराइल-फलस्तीन संघर्ष पर पिछले कुछ महीनों में तीसरी बार लेख लिखा है, जिनमें उन्होंने हर बार इस मुद्दे पर मोदी सरकार के रुख की तीखी आलोचना की है। सोनिया गांधी ने लेख में कहा कि फ्रांस, फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने में ब्रिटेन, कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया के साथ शामिल हो गया है।

उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 150 से अधिक देशों ने अब ऐसा कर दिया है। कांग्रेस की शीर्ष नेता ने इस बात पर जोर दिया कि भारत इस मामले में अग्रणी रहा है, जिसने फलस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को वर्षों के समर्थन के बाद 18 नवंबर, 1988 को औपचारिक रूप से फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता दी थी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे भारत ने आजादी से पहले ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का मुद्दा उठाया था और अल्जीरियाई स्वतंत्रता संग्राम (1954-62) के दौरान, भारत एक स्वतंत्र अल्जीरिया के लिए सबसे मजबूत आवाजों में से एक था।

उन्होंने बताया कि 1971 में भारत ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में नरसंहार को रोकने के लिए दृढ़ता से हस्तक्षेप किया, जिससे आधुनिक बांग्लादेश का जन्म हुआ। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इजराइल-फलस्तीन के महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर भी, भारत ने लंबे समय से एक संवेदनशील, लेकिन सैद्धांतिक रुख अपनाया है और शांति एवं मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया है। सोनिया गांधी ने कहा कि भारत को फलस्तीन के मुद्दे पर नेतृत्व दिखाने की जरूरत है, जो अब न्याय, पहचान, सम्मान और मानवाधिकारों की लड़ाई है।

प्रमुख खबरें

Dhurandhar X Review | रणवीर सिंह की धुरंधर पर दर्शकों का प्यार बरसा, फिल्म को कहा दिलचस्प एक्शन-ड्रामा, देखें फर्स्ट डे फर्स्ट शो रिव्यु

IndiGo Flights Cancellation: उड़ानें रद्द होने के बीच DGCA ने फ्लाइट क्रू के लिए बनाए गए Weekly Rest Norms वापस लिए

IndiGo ने आज की सारी उड़ानें रद्द कीं, हजारों यात्री फंसे, Civil Aviation Minister ने Airline को लगाई फटकार

एक महीने चावल छोड़ा, तो शरीर में दिखे ये 3 बड़े बदलाव, आप भी हो जाएंगे हैरान!