By प्रीटी | Nov 25, 2016
नीलगिरी पहाड़ियों के मध्य बसी है छोटी सी सुंदर मनोहारी नगरी कोडईकनाल। प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण यह पर्वतीय स्थल भारत के दक्षिण छोर तमिलनाडु में है। शहरी भीड़भाड़ और कोलाहल से कोसों दूर लगभग 22 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली यह सुंदर नगरी देश−विदेश के अनेक पर्यटकों को आकर्षित करती है। कुछ लोग तो इसे पर्वतीय राजकुमारी भी कहते हैं। प्राकृतिक फूलों से लदी तथा वातावरण को सुगंधित करती इस पहाड़ी की वादियां भीषण गर्मी में सुकून दिलाती हैं।
समुद्रतल से लगभग 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस नगरी की जनसंख्या 50 हजार के आसपास होगी। दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों की गर्मी, चिपचिपाहट और बैचेनी में कोडईकनाल एक सर्वथा नया अनुभव है। यहां पहुंच कर अद्भुत राहत मिलती है। यहां का मौसम लगभग पूरे वर्ष खुशनुमा रहता है। लेकिन पर्यटकों के लिए यहां की यात्रा का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितम्बर−अक्टूबर है। जनवरी, फरवरी और मार्च में यहां कड़ाके की ठंड पड़ती है। पलानी पहाडि़यों में स्थित कोडईकनाल मदुरै से 120 किलोमीटर की दूरी पर है।
कोडईकनाल की खोज का श्रेय अमेरिकी मिशनरियों को है। 19वीं शताब्दी में दक्षिण के अन्य क्षेत्रों की भीषण गर्मी से तंग अमरीकी मिशनरियों ने इस पर्वतीय स्थल को गर्मी से राहत पाने का सबसे उपयुक्त स्थान पाया था। उन दिनों नीलगिरी के ऊंचे शिखरों के बीच पहुंचना एक दुष्कर कार्य था। इस क्षेत्र में न तो रास्ते थे और न ही अन्य कोई सुविधा उपलब्ध थी। रास्ते के नाम पर ऊबड़−खाबड़ पगडंडियां थीं। रास्तों के अभाव में लोगों की हिम्मत ही नहीं पड़ती थी कि इस क्षेत्र की यात्रा करें। उस समय आम धारणा यह थी कि यह स्थान जाने योग्य नहीं है।
अनेक ईसाई धर्म प्रचारकों ने 18वीं शताब्दी के बाद भारत को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। ये ईसाई मिशनरी देश के सभी भागों में फैले हुए थे। अपने धर्म प्रचार के सिलसिले में कुछ मिशनरी इस क्षेत्र में आ पहुंचे। इस क्षेत्र में पहुंचने के बाद उन्हें यह प्रतीत हुआ कि इस क्षेत्र को विकसित करने की असीमित संभावनाएं हैं। मिशनरियों के प्रवेश के बाद अन्य लोगों को इस क्षेत्र के महत्व और प्राकृतिक सौन्दर्य का पता चला।
कोडईकनाल की खोज को अब 100 से अधिक वर्ष हो गए हैं और इस दौरान इसका खूब विकास भी हो गया है। मिशनरियों ने अपनी सुविधा के लिए यहां अच्छी सड़कों और पक्के रास्तों का निर्माण भी करवाया। कोडईकनाल में मिशनरियों की विशेष दिलचस्पी का अंदाजा यहां स्थित अनेक गिरिजाघरों और स्कूलों से लगाया जा सकता है। सन् 1901 में स्थापित मिशनरी स्कूलों में सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय स्कूल इंटरनेशनल स्कूल है। कोडइकनाल का दूसरा प्रसिद्ध अध्ययन केन्द्र सेक्रेड हार्ट कालेज है। इसकी स्थापना 1895 में हुई थी। इस कालेज में एक संग्रहालय भी है, जिसमें मुख्य रूप से पलानी पहाडि़यों के पुरातत्वीय अवशेष तथा पेड़−पौधे रखे गए हैं। इस संग्रहालय में आरकिड्स की 300 किस्में भी हैं। यह कोडइ लेक से छह किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। यह शेनबागनूर संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है।
कोडई की एक विशेषता यहां खिलने वाला विशेष फूल कुरिंजी है। यह फूल 12 वर्ष में एक बार खिलता है। इसी फूल के नाम पर यहां पर एक मंदिर भी है जो कुरिंजी अन्दावर मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के चारों ओर कुरिंजी फूलों के उद्यान हैं। तमिल भाषा में कुरिंजी का अर्थ होता है पहाड़ी स्थल और अन्दावर का अर्थ है भगवान। बारह वर्ष के बाद जब कुरिंजी फूलता है तो पहाडि़यों की ढलानों में बैंगनी चादर बिछी हुई लगती है। पहाड़ी स्थल पर स्थित भगवान मुरूगा का मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के बाहर से देखने पर चारों ओर का दृश्य बड़ा ही विहंगम दिखाई देता है।
कोडईकनाल का प्रमुख आकर्षण यहां की झील है। यह झील 24 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है। यह झील तीन धाराओं के संगम से बनी है। यहां पर बोट क्लब भी है। चारों ओर हरे−भरे वृक्षों और झाडि़यों से आच्छादित सुंदर पहाडि़यों के बीच बसी इस झील में नौका विहार करने का अपना ही आनंद है। झील से एक किलोमीटर दूर कोडई के दक्षिणी हिस्से में पैदल घूमने के शौकीन लोगों के लिए एक मनोहारी सड़क कोकर्स वॉक है। झील से तीन किलोमीटर दूरी पर सौर भौतिक वेधशाला भी है।
पर्यटकों को घाटी और समीपवर्ती नगरों का विहंगम दृश्य उपलब्ध कराने के लिए कोडईकनाल में दो दूरबीन लगाई गई हैं। इनमें से एक कुरिंजी अन्दावर मंदिर के पास और दूसरी कोकर्स वॉक में है। कोडइ के आसपास स्थित स्थल डोल्मैन सर्कल, थलियार फाल्स और कुकाल गुफाएं भी देखने योग्य जगहें हैं।
कोडई तक विमान, रेल या फिर सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है। यहां से निकटतम हवाई अड्डा मदुरै है जो कोडई से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोडई से निकटतम रेलवे स्टेशन 80 किलोमीटर दूर है। आप चाहें तो यहां बस मार्ग द्वारा भी आ सकते हैं। कोडई आते समय अपने साथ गरम कपड़े रखना न भूलें।
प्रीटी