नक्सलियों व माओवादियों को क्रांतिकारी कहते हैं ‘नामदार’ के ‘राजदरबारी’: मोदी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 28, 2018

भरतपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखा हमला करते हुए बुधवार को कहा कि ‘नामदार’ के ‘राजदरबारी’ लोग निर्दोषों की हत्या करने वाले नक्सलियों-माओवादियों को क्रांतिकारी कहते हैं। छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रक्रिया के दौरान भरतपुर के एक जवान के शहीद होने का जिक्र करते हुए मोदी ने यहां एक चुनावी सभा में कहा, ‘‘उस (जवान) को मौत के घाट उतारने वाले माओवादी, नक्सलवादी, हिंसावादी लोगों को नामदार के राजदरबारी, उनके खासम खास, उनके राज्यसभा सदस्य बेशर्मी के साथ क्रांतिकारी कहते हैं।' 

प्रधानमंत्री मोदी अपने चुनावी भाषण में प्राय: राहुल गांधी को ‘नामदार’ व खुद को ‘कामदार’ बताते हैं। मोदी ने कहा कि ‘नामदार’ की पार्टी के लोग हमारे सेनाध्यक्ष के लिए ‘रास्ता चलते गुंडे’ शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। मोदी ने सवाल उठाया, ‘‘क्या ऐसे लोग सेना का भला करेंगे? और सेना का भला नहीं होगा तो आपकी रक्षा होगी क्या?’’ उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने पिछले साल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत पर कथित अभ्रद टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह ‘सड़क के गुंडे’ की तरह बयान देते हैं। भाजपा ने इस पर आपत्ति जताते हुए दीक्षित को पार्टी से निकालने की मांग की थी। हालांकि कांग्रेस ने खुद को दीक्षित के इस बयान से अलग कर लिया और दीक्षित ने भी बाद में अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी।

 

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मोदी ने कांग्रेस पर देश के शहीदों का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा, ‘‘हमने सेना में वन रैंक, वन पेंशन लागू की। कांग्रेस ने इस पर कभी काम ही नहीं किया।’’ पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दस साल के कार्यकाल में 12 लाख करोड़ रुपये के घोटाले होने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद चार साल में घोटालों का यह खेल बंद हुआ है। उन्होंने कहा कि वोट की राजनीति देश का भला नहीं कर सकती और मतदाताओं को अपने एक वोट की कीमत पहचाननी चाहिए।

 

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मोदी ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व गुजरात का हवाला देते हुए कहा कि जहां जहां से कांग्रेस पार्टी गयी वहां विकास का आना तय है। उन्होंने कांग्रेस पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर भी काम नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर इस आयोग की सिफारिशें दस साल पहले लागू हो जातीं तो आज किसान कर्ज के बोझ से नहीं दबा होता।

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