पुलवामा हमले की NIA जांच के अब आगे बढ़ने का रास्ता नहीं

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 14, 2020

श्रीनगर। पिछले साल पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के पांच षड्यंत्रकारियों या इसे अंजाम देने वालों के सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में मारे जाने के साथ इस घटना की जांच उस बिंदु पर पहुंच गई है, जहां से संभवत: इसके आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं है। हालांकि, इस मामले ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के लिए अनोखी चुनौतियां पेश की क्योंकि इस हमले को अंजाम देने वालों या इसके सरगना के बारे में कोई ठोस सूचना उपलब्ध नहीं है।  एनआईए का गठन 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद किया गया था।  जांच में शामिल रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘हमारे लिए यह अंधेरे में हाथ पैर मारने जैसा एक मामला था। दबी जुबान से कई तरह की बातें की जा रही थीं लेकिन हर चीज के कानूनी पहलू का ध्यान रखना था।’’ अधिकारी ने बताया कि पहली चुनौती तो आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार द्वारा हमले में इस्तेमाल की गई कार के असली मालिक का पता लगाना था।

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जबकि अमोनियम नाइट्रेट, नाइट्रो ग्लीसरीन और आरडीएक्स जैसे विस्फोटकों से लदा वाहन नष्ट हो गया था।  उन्होंने बताया कि हालांकि फॉरेंसिक पद्धतियों औरबहुत ही सावधानीपूर्वक की गई जांचों से कार के सीरियल नंबर का पता लगाया गया और कुछ ही समय में वाहन के मालिकाना हक का शुरू से अंत तक पता कर लिया गया। जबकि इस विस्फोट में कार के परखच्चे उड़ गए थे।  हालांकि, कार का अंतिम मालिक एवं अनंतनाग जिला स्थित बिजबेहरा निवासी सज्जाद भट 14 फरवरी के (पुलवामा) आतंकी हमले से कुछ ही घंटे पहले लापता हो गया और जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन में शामिल हो गया। वह पिछले साल जून में एक मुठभेड़ में मारा गया। 

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उन्होंने बताया, ‘‘यह स्पष्ट है कि आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार था लेकिन यह साक्ष्य से भी स्थापित करना पड़ा। विभिन्न स्थानों से मानव अवशेषों को जुटा कर उन्हें डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए भेजा गया।’’ अधिकारी ने बताया, ‘‘आत्मघाती हमलावर की पहचान कर ली गई और कार के मलबे से लिए गए डीएनए के नमूनों का उसके पिता के डीएनए से मिलान कर पुष्टि की गई।’’उन्होंने कहा कि मुदसीर अहमद खान, कारी मुफ्ती यासीर और कामरान सहित अन्य षड्यंत्रकारियों की भूमिका उजागर हुई लेकिन वे सभी सुरक्षा बलों के साथ विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए। पिछले साल 10 मार्च को खान, 29 मार्च को कामरान, 18 जून को सज्जाद मारा गया जबकि कारी इस साल 25 जनवरी को मुठभेड़ में मारा गया।

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जैश ए मोहम्मद के प्रवक्ता मोहम्मद हसन के एक वीडियो में इस हमले की उसके संगठन द्वारा जिम्मेदारी लेने के बाद इसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया और इंटरनेट प्रोटोकॉल पते से पाकिस्तान स्थित एक कंप्यूटर से इसे जारी किए जाने के बारे में जानकारी मिली। अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान एनआईए ने जैश ए मोहम्मद के सदस्यों की सक्रियता के एक अन्य मामले का पता लगाया।उन्होंने बताया, ‘‘ इस मामले में आरोप पत्र में अब तक आठ लोगों को नामजद किया गया है।’’

 

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