फूलपुर से चुनाव लड़ने की अटकलों पर नीतीश ने तोड़ी चुप्पी, कहा- विपक्ष को एकजुट करना हमारा मकसद

By अंकित सिंह | Sep 20, 2022

2024 चुनाव को लेकर लगातार अटकलों का दौर जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विपक्ष में कौन सा नेता चुनौती देगा, यह सबसे बड़ा प्रश्न है। कई नेता अपनी दावेदारी को पेश करने की कोशिश में हैं। वहीं, दूसरी ओर भाजपा से गठबंधन तोड़ने और महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल हो चुके हैं। भले ही उनकी ओर से इस बात से साफ तौर पर इंकार किया जाता रहा हो। लेकिन कहीं ना कहीं उनकी पार्टी जदयू लगातार उन्हें प्रधानमंत्री पद का मटेरियल बताते रही है। इन सब के बीच एक खबर खूब चल रही है कि नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के फूलपुर से भी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। इसको लेकर अब नीतीश कुमार ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। नीतीश कुमार ने साफ तौर पर कहा है कि उनका मकसद सिर्फ विपक्ष को एकजुट करना है। 

 

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इसके अलावा नीतीश कुमार ने यह भी कहा है कि हम लोग काम करने वाले लोग हैं। मीडिया केवल दिल्ली वालों का प्रचार करती हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि देश में कोई काम नहीं हो रहा है। अपने बयान में नीतीश ने कहा कि मेरी रुचि एक ही चीज में है कि ज्यादा से ज्यादा दलों को एक साथ लाए। मुझे खुद के लिए कुछ नहीं चाहिए, मुझे नई पीढ़ी के लिए काम करना है। देश की हालत सब देख रहे हैं, सबको नियंत्रित किया जा रहा है। देश में कोई काम नहीं हो रहा है। नीतीश ने कहा कि बिहार में लगातार विकास के काम किए जा रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों का काम बोलना है और वह बोलते रहेंगे और हम अपना काम करते रहेंगे। हमारा ध्यान युवाओं को रोजगार देने पर है। 

 

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भाजपा ने किया था पलटवार

नीतीश के फूलपुर से चुनाव लड़ने को लेकर भाजपा ने पलटवार किया था। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा था कि नीतीश कुमार कहीं से भी लोकसभा का चुनाव लड़ें, जनता उन्हें बुरी तरह पराजित करेगी और वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएँगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद का सपना देखने वाले नीतीश कुमार भाजपा के बढते जनाधार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से इतना डरे हुए हैं कि वे बिहार से संसदीय चुनाव लड़ने के बजाय यूपी में सपा के गढ़ फूलपुर और मिर्जापुर से प्रत्याशी बनने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2014 में बिहार की 40 सीटों में से जदयू सिर्फ दो पर जीता था। उसमें भी नालंदा संसदीय सीट पर मात्र 8 हजार वोटों के अंतर से उसकी प्रतिष्ठा बची थी। इस बार भाजपा 35 से ज्यादा सीटें जीत कर 2014 की सफलता दोहरायेगी। 

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