नीतीश ने सीएए-एनआरसी पर प्रश्न को हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए टाल दिया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 15, 2020

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से जुड़े प्रश्न पर मुस्कुराते हुए हाथ जोडकर टाल दिया। मकर संक्रांति के अवसर पर यहां आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दिन उस विषय की चर्चा मत करिए जिसमें लगे कि अलग अलग सोच और झगड़े का माहौल है। शहर के हार्डिंग रोड स्थित जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित दही-चूड़ा भोज में सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री ने सीएए-एनआरसी को लेकर पूछे गए प्रश्न को मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर टाल दिया और कहा कि मकर संक्रांति पर आपस में प्रेम एवं सद्भावना का भाव होता है।

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उन्होंने जल जीवन हरियाली के प्रति लोगों के बीच जागरुकता पैदा करने के लिए 19 जनवरी को मानव श्रृंखला में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील करते हुए कहा कि आपको जितनी और जो भी बात करनी हो, चाहे वह मुद्दा कुछ भी हो उस पर आप 19 जनवरी को बात करिएगा।समारोह में शामिल हुए प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद के विधायक फराज फातमी ने कहा कि उनके आज यहां आने का कोई राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे मौके पर आमंत्रण दिए जाने पर लोग एक-दूसरे के घर जाया करते हैं और बधायी देते हैं। एनआरसी को लेकर बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख के बारे में प्रतिक्रिया पूछे जाने पर फातमी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह एनआरसी के खिलाफ हैं, ऐसे में इस बात को आगे बढ़ाना उचित नहीं है।

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राजद नेता तेजस्वी यादव सीएए और एनआरसी के विरोध में गुरूवार से बिहार में दौरा करने वाले हैं। इस बारे में पूछे जाने पर फातमी ने कहा कि वह ऐसा करके गलत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के अपना रुख स्पष्ट कर दिए जाने पर उन्हें भी अपने निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए। मकर संक्रांति के अवसर पर शहर स्थित सदाकत आश्रम में आयोजितसमारोह में भाग लेते हुए तेजस्वी ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि एनपीआर जो कि एनआरएसी को लेकर पहला कदम है उसे तो वह रोक नहीं पाए।  तेजस्वी ने कहा, ‘‘उनके (नीतीश के) मन में छल-कपट तो है ही। मामले को टालना था, उन्होंने टाला पर वे कितने दिनों तक टालेंगे। बिहार की जनता देख रही है कि कैसे यह पार्टी (जदयू) और उसके नेता अपने दल के संविधान को नहीं मानते।’’

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