Gallstones Symptoms: गॉलस्टोन के इन लक्षणों को भूलकर भी न करें नजरअंदाज, वरना बढ़ सकती है परेशानी

By अनन्या मिश्रा | Aug 30, 2025

गॉलस्टोन यानी की पित्त की पथरी या फिर पित्ताशय की पथरी से पेट में तेज दर्द होता है। यह कोई छोटी समस्या नहीं बल्कि एक गंभीर समस्या है। जिसका इलाज सिर्फ सर्जरी से होता है। एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया में करीब 6 प्रतिशत आबादी गॉलस्टोन की समस्या से पीड़ित है। आमतौर पर महिलाओं में पित्त की पथरी की समस्या देखी जाती है। खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान की आदतों की वजह से यह समस्या लगातार बढ़ रही है।


वहीं चिंता की बात यह है कि लोग अक्सर इस समस्या को नजरअंदाज करने की गलती कर देते हैं। जिस कारण यह बिना लक्षणों के समय के साथ गंभीर होता चला जाता है। वहीं सही समय पर गॉलस्टोन के बारे में जानकारी और इसके लक्षणों के बारे में पता लगाकर इस समस्या को गंभीर होने से बचाया जा सकता है और सही इलाज कराने में भी मदद मिल सकती हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको पित्त की पथरी के लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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जानिए क्या गॉलस्टोन

पेट के दाईं ओर लिवर के नीचे गॉलब्लैडर स्थित होता है। इसमें बाईल जूस इकट्ठा होता है, जोकि छोटी आंत में जाकर पाचन क्रिया में सहायता करता है। यह बाइल जूस कठोर होकर छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में बाईल डक्ट या गॉलब्लैडर में एकत्रित हो जाता है। तो इसको गॉलस्टोन कहा जाता है।


किसको ज्यादा खतरा

गॉलस्टोन की समस्या किसी को भी हो सकती है। लेकिन इसका खतरा महिलाओं और अधिक वजन वाले लोगों में ज्यादा होता है। वहीं बढ़ती उम्र के साथ इसका जोखिम बढ़ता चला जाता है।


धीरे-धीरे इकट्ठा होते हैं पत्थर

गॉलस्टोन के साथ मुख्य समस्या यह है कि यह समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं। क्योंकि इनके ऊपर बाईल इकट्ठा होता रहता है। यह इतने बड़े हो सकते हैं कि बाइल के छोटी आंत में पहुंचने में रुकावट पैदा करने लगे। बता दें कि अगर बाईल डक्ट में फंस जाते हैं, जो व्यक्ति को अलग परेशानियां हो सकती हैं। इस स्थिति में लिवर, पैन्क्रिया और गॉलब्लैडर के काम पर असर पड़ता है।


इनके नुकसान

इसके कारण सूजन या फिर खून में बाईल का रिसाव हो सकता है। जिसकी वजह से पीलिया और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए इसकी गंभीर स्थिति को होने से रोकने के लिए फौकन उपाय करना जरूरी हो जाता है। जब गॉलस्टोन बड़े हो जाते हैं, तो दैनिक जीवन को प्रभावित करने लगते हैं। आमतौर पर गॉलब्लैडर को काटकर निकालना पड़ता है। यह प्रोसेस एक लैप्रोस्कोप की सहायता से कोलेसिस्टेक्टोमी द्वारा की जाती है।


लक्षण

इसके लक्षणों बुखार, दिल की धड़कन बढ़ना, त्वचा और आंखों में पीलापन, पसीना आना, पेट में सूजन या नरम महसूस होना, मूत्र का रंग गहरा हो जाना, मल का मिट्टी के रंग का हो जाना आदि शामिल है।


हालांकि गॉलस्टोन के तब तक कोई लक्षण नहीं होते हैं, जब तक वह अटककर बाधा नहीं डालते हैं। ऐसे मामलों में मरीजों को 'गॉलब्लैडर अटैक' हो सकता है। इनके ऊपरी पेट में अचानक से तेज व गंभीर दर्द होता है। जोकि मिनटों से लेकर लक्षणों तक रह सकते हैं। ऐसे में अगर लंबे समय तक अवरोध बना रहता है, तो यह मरीजों को महसूस हो सकता है।

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