By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 24, 2019
नयी दिल्ली। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को जनगणना नहीं समझना चाहिये, बल्कि यह राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) ही है। येचुरी ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एनपीआर के लिये 8500 करोड़ रुपये के कोष को मंजूरी मिलने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर एनसीआर के बारे में गलत बयानी करने और देश को गुमराह करने का आरोप लगाया। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में एनपीआर के लिये 8500 करोड़ रुपये के कोष को मंजूरी दी गयी है।
येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘एनपीआर, जनगणना नहीं है। हर दस साल में होने वाली जनगणना को जारी रहना चाहिये। सरकार को स्वयं उसके द्वारा देश में उत्पन्न किये गये आर्थिक संकट, बढ़ती बेरोजगारी, मंहगाई और बढ़ते ग्रामीण असंतोष पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये। सरकार विभाजनकारी कानून सीएए को वापस ले और एनसीआर एवं एनपीआर को रद्द करे।’’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘एनपीआर और एनआरसी एकसमान हैं। मोदी सरकार लोगों को गुमराह करने के लिये कितना झूठ बोलेगी। इस सरकार ने राज्यसभा में स्पष्ट रूप से कहा था कि एनपीआर मूल दस्तावेज होगा जिससे आधार पर एनआरसी का काम शुरु होगा।’’
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येचुरी ने एनआरसी के मुद्दे पर देश के युवाओं की चिंता को जायज ठहराते हुये कहा कि देश के भविष्य को लेकर युवाओं की चिंता सही है। उन्होंने सीएए के विरोध में 24 वर्षीय एक जर्मन छात्र को पुलिस द्वारा हिरासत में लेने की आलोचना करते हुये कहा कि पुदुचेरी विश्विद्यालय की एक छात्रा ने भी सीएए के विरोध में स्वर्ण पदक लेने से इंकार कर दिया। येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘युवा वर्ग भारत का भविष्य हैं और देश के भविष्य को लेकर उनकी चिंता सही है।’’ उन्होंने पुदुचेरी विश्वविद्यालय की छात्रा राबिया अब्दुर्रहीम के साहस की सराहना करते हुये कहा, ‘‘हम साहसी राबिया जैसे देशभक्त भारतीयों के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हैं।’’