By अभिनय आकाश | May 19, 2025
भारत पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति अपने चरम पर थी। तब भारत के लाख विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को लोन की मंजूरी दे दी। 2.3 बिलियन डॉलर की रकम पाकिस्तान को दी जानी थी। लेकिन अब इसमें आईएमएफ ने नई शर्त रख दी है। आईएमएफ की तरफ से पैसा रिलीज किए जाने की सूरत में पाकिस्तान को ये 11 शर्तें माननी होंगी। इससे पहले भी आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज दिया था उस वक्त भी अपनी शर्तें पाकिस्तान पर थोपी थी। उसके बाद पाकिस्तान में बेरोजगारी और महंगाई के लिए आलम को पूरी दुनिया ने देखा था। अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी कर्ज राहत योजना की अगली किस्त जारी करने के लिए 11 नई शर्तें जोड़ दी है। अब तक कुल 50 शर्ते आईएमएफ पाकिस्तान पर थोप चुका है। इसके अलावा आईएमएफ ने भारत-पाकिस्तान के बीच के तनाव को कार्यक्रम के लिए खतरा बताया है।
एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच में अगर तनाव बढ़ता है कि तो पड़ोसी देश के आर्थिक सुधार, बजट संतुलन और विदेशी लेन-देन से जुड़े सभी लक्ष्यों पर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में भारत की आतंकवादी ठिकानों पर की गई स्ट्राइक और पाकिस्तान की जवावी कार्रवाई ने माहौल को और ज्यादा संवेदनशील बना दिया है। आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तान का रक्षा बजट 2.414 लाख करोड़ रुपए हो सकता है, जो 12% ज्यादा है। वहीं, पाकिस्तानी सरकार ने 2.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा आवंटित करने का संकेत दिया है, जो भारत के साथ संघर्ष के बाद 18% की वृद्धि दशांता है।
कौन-कौन सी नई शर्तें जोड़ी गईं?
पाकिस्तान को अपनी संसद से वित वर्ष 2026 के लिए 17.6 लाख करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दिलानी होगी।
बिजली बिल में लगने वाला डेट सर्विस सरचार्ज 3.21 रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा में नहीं रहेगा। लोगों पर बोझ बढ़ेगा।
अब 5 साल पुरानी कारों तक के आयात की इजाजत दी जाएगी। फिलहाल सिर्फ 3 साल पुरानो कारों को मंगाने की अनुमति थी।
पाकिस्तान के चारों प्रांतों को कृषि आयकर लागू करने की योजना बनानी होगी। टैक्सपेयर की पहचान, पंजीकरण, ऑनलाइन रिटर्न शामिल हैं।
पाकिस्तान को एक कार्य योजना सार्वजनिक करनी होगी, जिसमें सरकारी तंत्र की कमजोरियों को सुधारने के उपाय बताए जाएंगे।
वित्तीय योजना बनानी होगी, जो 2028 से आगे की वित्तीय संस्थागत रूपरेखा को स्पष्ट करे।
ऊर्जा क्षेत्र में सख्त शर्तें
बिजली दरों की वार्षिक समीक्षा और लागू करना अनिवार्य होगा
गैस दरों की समीक्षा फरवरी 2026 तक लागू करनी होगी
घाटे वाली बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त
बोझ डाला जाएगा
IMF-वर्ल्ड बैंक ने कहा कि गलत एनर्जी पॉलिसी के चलते ही कर्जी की स्थिति
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