By अभिनय आकाश | Aug 20, 2025
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को जैन समुदाय के एक वर्ग को, जिसने पर्यूषण पर्व के दौरान मुंबई में बूचड़खानों पर एक सप्ताह के लिए प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को इस बारे में समझाने का निर्देश दिया। बीएमसी ने 14 अगस्त को समुदाय की मांग पर त्योहार के दौरान बूचड़खानों पर दो दिन का प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने यह भी सवाल उठाया कि क्या समुदाय को 20 से 27 अगस्त तक मनाए जाने वाले पूरे पर्यूषण पर्व के दौरान इस तरह के प्रतिबंध की मांग करने का कोई वैधानिक अधिकार है। यह त्यौहार आंतरिक शुद्धि, उपवास, तपस्या और सद्गुणों के विकास को बढ़ावा देता है।
बेंच ने कहा कि अगर यह हम पर छोड़ दिया जाए और लोग हमारी बात सुनें, तो हम सभी से शाकाहारी बनने का अनुरोध करेंगे। लेकिन यह आदेश कानून के दायरे में होना चाहिए। हम आपकी भावनाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन आपको बीएमसी को इसके लिए राजी करना होगा। इसका उत्तर देते हुए जैन समुदाय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रसाद धाकेफालकर ने तर्क दिया कि बूचड़खानों को बंद करने के लिए सम्राट अकबर को राजी करना बीएमसी या महाराष्ट्र सरकार की तुलना में अधिक आसान था। धाकेफालकर ने तर्क दिया यह समुदाय बादशाह अकबर को आसानी से मना सकता था, जिन्होंने उस समय गुजरात में बूचड़खानों को बंद करने का आदेश दिया था। लेकिन महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी को मनाना वाकई मुश्किल है।
नगर निगम ने मुंबई की कुल जनसंख्या को गलत तरीके से गिना है। उन्होंने जैनियों की जनसंख्या की तुलना केवल मांसाहारियों से की होगी। उन्होंने शाकाहारियों को भी जैनियों के साथ गिन लिया। दरअसल, महाराष्ट्र में श्रावण मास भी चल रहा है, इसलिए आधे मांसाहारी लोग मांसाहार नहीं कर रहे हैं," उन्होंने समुदाय की मांग को पुख्ता करने के लिए कहा, साथ ही बीएमसी कमिश्नर की इस टिप्पणी का हवाला दिया कि मुंबई में जैनियों की जनसंख्या बहुत कम है।