By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 23, 2017
जयपुर। जाने-माने गीतकार और शायर जावेद अख्तर ने कहा कि सिर्फ पाश्चात्यीकरण से हमारे समाज का पतन नहीं हो रहा है। उनका बयान बेंगलूरू में हाल में महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटना के संदर्भ में आया है। अख्तर ने कहा, ‘‘अलग-थलग समाज, लोगों का अलग-अलग टाइम जोन में रहना और समाज में बढ़ता आर्थिक विभाजन विकृति की ओर ले जा रहा है। समाज में बढ़ता गुस्सा और जहर मानव स्वभाव पर भारी पड़ रहा है। गांव से आने वाला व्यक्ति वंचित किए जाने को लेकर गुस्से में है और इसलिए इस तरह के कृत्य हो रहे हैं।’’ उन्होंने तत्काल समस्या का निदान ढूंढने और उसपर तुरंत काबू करने की आवश्यकता पर बल दिया।
अख्तर ने कहा कि भारतीय सिनेमा को काफी व्यापक माना जाता है लेकिन वास्तव में यह समाज की हकीकत है। भावी अभिनेत्री और अभिनेता लैंगिक रूप से सचेत नहीं होंगे और वे कुछ सिद्धांतों और जिम्मेदारियों वाले लोग होंगे। उनका मानना है कि आने वाली फिल्में अधिक तर्कसंगत विषयों पर होंगी और पूर्व के वर्षों की तुलना में अधिक हकीकत के करीब होंगी। अख्तर ने कहा, ‘‘उनमें बेहतर नैतिकता और संवेदनशीलता और न्याय की मजबूत भावना होगी।’’ सलमान खान की फिल्मों पर बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘उनकी कुछ विशेषताएं हैं। एक तो आम आदमी की छवि, दूसरा वो परफेक्ट व्यक्ति नहीं हैं और चुनौती लेते हैं और इसे पूरा करते हैं। दोनों ‘सुल्तान’ और ‘बजरंगी भाईजान’ इसके उदाहरण हैं। हम उन्हें देखना चाहते हैं और वो लोगों में लोकप्रिय हैं।''