आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसके प्रमुख हैं मोहन भागवत। मोहन भागवत ने हिन्दुओं को देशभक्त बताया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई हिन्दू है तब वह देशभक्त होगा और यह उसका बुनियादी चरित्र एवं प्रकृति है। संघ प्रमुख ने महात्मा गांधी की उस टिप्पणी को उद्धृत करते हुए यह बात कही जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी देशभक्ति की उत्पत्ति उनके धर्म से हुई है। जे के बजाज और एम डी श्रीनिवास लिखित पुस्तक ‘मेकिंग आफ ए हिन्दू पैट्रियट : बैकग्राउंड आफ गांधीजी हिन्द स्वराज’ का लोकार्पण करते हुए मोहन भागवत ने यह बात कही। मोहन भागवत का बयान आते ही एआईएनआईएन नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी समते कई राजनीतिक दलों ने इसपर पलटवार किया।
ओवैसी का पलटवार
असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत के बयान पर ट्वीट करते हुए पूछा कि गांधी जी के हत्यारे गोडसे के बारे में क्या कहेंगे? नेली नरसंहार, 1984 के सिख विरोधी दंगे और 2002 के गुजरात दंगे के जिम्मेदार लोगों पर क्या कहेंगे? ओवैसी ने आगे लिखा कि यह मानना तर्कसंगत है कि अधिकांश भारतीय देशभक्त हैं, भले ही वो किसी को भी मानते हों। लेकिन आरएसएस की बेतुकी विचारधारा एक धर्म के लोगों को अपने आप देशभक्ति का सार्टिफिकेट देती है। जबकि दूसरों को इसे साबित करने में यहां तक कि खुद को भारतीय कहने में अपना पूरा जीवन लगाना पड़ता है।
मोहन भागवत ने क्या दिया था बयान
भागवत ने कहा कि जमीन की पूजा, माटी की पूजा भारत वर्ष के सभी लोगों में है। यह किसी न किसी रूप में विद्यमान है। लेकिन गांधी जी ने जो कहा वो गौर करने लायक है। गांधी जी ने कहा कि मेरी देशभक्ति मेरे धर्म से निकलती है। हिन्दू हैं तो देशभक्त होना ही पड़ेगा उसको। उसके मूल में उसके प्रकृति में ये है। हां ऊपर की राख, धूल झाड़कर उसको खड़ा करना पड़ता है। सोया हुआ देशभक्त रहता है, जागरूक देशभक्त रहता है। ये हो सकता है। लेकिन भारत विरोधी ऐसा कोई नहीं रहता है।