By अनुराग गुप्ता | Aug 25, 2020
नयी दिल्ली। कोराना वायरस महामारी के चलते बहुत से लोगों का रोजगार छिन गया है। कुछ ऐसा ही कोयंबटूर के हथकरघा बुनकर एच प्रकाश का हाल है। उन्हें अपने दिल पर पत्थर रखते हुए अपने दोनों बच्चों को इंग्लिश मीडियम प्राइवेट स्कूल से सरकारी स्कूल शिफ्ट करना पड़ रहा है। टाइम्स न्यूज नेटवर्क की स्टोरी के मुताबिक, कोरोना महामारी के चलते उनका व्यापार बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है जिसकी वजह से अब उनके पास आय का स्त्रोत भी नहीं बचा है।
ऐसा सिर्फ एच प्रकाश के साथ ही नहीं हुआ है बल्कि देशभर में बहुत से लोगों की अजीविका छिन गई है, जिसकी वजह से वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूलों में भर्ती कराना चाहते हैं। क्योंकि न तो उनके पास फीस देने और न ही उनके पास ऑनलाइन क्लासेस के लिए गैजेट खरीदने के पैसे हैं।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अहमदबाद के दुधेश्वर इलाके में रहने वाले स्वच्छता कार्यकर्ता रजनीकांत सोलंकी को ज्यादातर लोगों की तरह उस वक्त चिंता हुई जब कोरोना महामारी की वजह से उनकी सैलरी में 20 प्रतिशत की कटौती की गई। ऐसे में उन्होंने बेहद कठिन फैसला लेते हुए अपनी दोनों बेटियों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के लिए स्कूल से वित्तीय सहायता मांगी लेकिन वह नहीं मिल पाने की वजह से उन्होंने दोनों का दाखिला सरकारी स्कूल में करा दिया।
इस तरह की कई सारे मार्मिक दृश्य हम सबके आस-पास मौजूद हैं। जहां एक तरह लोग रोजगार से जूझ रहे थे वहीं कई सारे परिवार अपने बच्चों का पेट पालने के लिए स्कूलों के मील के सहारे थे। इस बीच वित्तपोषित स्कूलों में छात्रों की भीड़ देखी गई। गुजरात में तो करीब 30 फीसदी तक छात्रों के सेवन में इजाफा देखा गया है।