By अभिनय आकाश | Jul 08, 2025
दुनिया के कूटनीतिक नक्शे पर भारत और रूस ने मिलकर एक बार फिर बड़ा संदेश दिया है। रियो डी जनेरियो में ब्रिक्स 2025 शिखर सम्मेलन के इतर एस जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की महाबैठक ने नए समीकरण बना दिए हैं। सूत्रों की मानें तो कहा जा रहा है कि एस जयशंकर और सर्गेई लावरोव की बैठक औपचारिक नहीं बल्कि रणनीतिक थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिक्स समिट से इतर पर ब्राजील में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट में बताया कि उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग, वेस्ट एशिया, ब्रिक्स और एससीओ को लेकर चर्चा की।
लावरोव ने ब्रिक्स समिट में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का प्रतिनिधित्व किया है। सूत्रों के मुताबिक, लावरोव को जून के दूसरे हफ्ते के आस-पास भारत आना था। उस दौरे का मकसद राष्ट्रपति पुतिन की इस साल होने वाली प्रस्तावित भारत यात्रा के लिए ग्राउंड वर्क करना था। 27 मार्च को लावरोव ने कहा था कि राष्ट्रपति पूतिन की यात्रा की तैयारी चल रही है। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस यात्रा को लेकर चर्चा हुई हो। वैसे तो जयशंकर और लावरोव के बीच हुई मीटिंग ब्रिक्स से इतर हुई लेकिन इसके नतीजे दूरगामी हो सकते हैं।
द्विपक्षीय सहयोग: भारत और रूस के बीच सामरिक, सैन्य, तकनीक, ऊर्जा क्षेत्रों में पहले से ही गहरे रिश्ते हैं और इस मीटिंग में उसी और मजबूती दी गई।
पश्चिमी एशिया की स्थिति: इसके तहत ईरान-इजरायल टेंशन और खाड़ी देशों की भूमिका पर रणनीतिक चर्चा हुई। भारत और रूस दोनों ही क्षेत्र में स्थिरता के पक्षधर हैं।
ब्रिक्स के विस्तार और इसकी भूमिका: इसके तहत ब्रिक्स अब केवल पांच देशों तक सीमित नहीं। इसकी नई सदस्यता यानी ईरान, यूएई, मिस्र, इथोपिया, इंडोनेशिया के बाद ये संगठन नया आकार ले रहा है।
एससीओ और वैश्विक समीकरण: भारत और रूस दोनों ही एससीओ के अहम सदस्य हैं और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की वकालत करते हैं। इस साल बिक्स की अध्यक्षता ब्राजील के पास है, लेकिन भारत 2026 में अध्यक्षता करने वाला है।
आरआईसी को जीवित करना चाहता है रूस
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ही आरआईसी फ्रेमवर्क को जिंदा करने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होने कहा था कि रूस चाहता है कि भारत-रशिया-चीन (आरआईसी) त्रोइका को सक्रिय होना चाहिए। वह इस संबंध में लगातार पश्चिम को भी निशाने पर भी लेते आ रहे है।