कोयल दीदी (बाल कविता)

By संतोष उत्सुक | Jun 07, 2019

कवि ने कोयल दीदी बाल कविता में कोयल के बारे में अच्छा वर्णन किया है। कवि ने कविता में कोयल की मीठी कूक के बारे में भी बताया है। 

 

आम की शाखाएं फ़ूल रही हैं 

कोयल दीदी अब कूक रही हैं 

 

लताजी जैसा सुना रही हैं 

मीठे मधुर गीत गा रही हैं 

 

आम वरना फीके रह जाते 

मेहनत से मीठे बना रही हैं 

 

रंग नहीं गुण करते सफल 

बार बार यह समझा रही हैं

  

कोयल जैसा सीखो बोलना   

दादियां बच्चों को पटा रही हैं

 

- संतोष उत्सुक

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