K Kamaraj Death Anniversary: आजादी के बाद कांग्रेस के सबसे ताकतवर अध्यक्ष थे के कामराज, 3 बार बने थे तमिलनाडु के CM

By अनन्या मिश्रा | Oct 02, 2025

आज ही के दिन यानी की 02 अक्तूबर को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और राजनीतिज्ञ के कामराज का निधन हो गया था। पंडित नेहरू के निधन के बाद के कामराज कांग्रेस में बहुत ताकतवर हो गए थे। पार्टी में उनकी तूती इस कदर बोलती थी कि बड़े से बड़ा नेता भी उनसे टकराने की हिम्मत नहीं करता था। हालांकि बाद में इंदिरा गांधी ने के कामराज से टक्कर ली। लेकिन तब जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं। शुरूआत में इंदिरा गांधी भी के कामराज के रूतबे से आतंकित रहती थीं। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर के कामराज के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

तमिलनाडु के विरदुनगर में एक व्यवसायी परिवार में 15 जुलाई 1903 को के कामराज का जन्म हुआ था। उनका मूल नाम कामाक्षी कुमारस्वामी नाडेर था। लेकिन बाद में वह के कामराज के नाम से जाने गए। के कामराज अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके और 15 साल की उम्र में ही जलियावाला बाग हत्याकांड के कारण स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। फिर 16 साल की उम्र में वह कांग्रेस से जुड़ गए।

इसे भी पढ़ें: Raja Ravi Varma Death Anniversary: भारतीय कला इतिहास के महान चित्रकार और कलाकार थे राजा रवि वर्मा

नमक आंदोलन में लिया हिस्सा

साल 1930 में हुए नमक आंदोलन में के कामराज ने भी हिस्सा लिया और पहली बार जेल गए। इसके बाद वह 6 बार जेल गए। उन्होंने करीब 3,000 दिन जेल में बिताए। जेल में ही रहकर के कामराज ने अपनी पढ़ाई पूरी की। जेल में रहने के दौरान ही वह म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के चेयरमैन चुने गए। फिर जेल से बाहर आने के करीब 9 महीने बाद के कामराज ने इस्तीफा दे दिया। क्योंकि उनका कहना था कि ऐसा पग आपको स्वीकार नहीं करना चाहिए, जिसके साथ आप न्याय नहीं कर सकते हैं।


अनिच्छा से बनें तमिलनाडु के सीएम

बता दें कि दक्षिण भारत की राजनीति में कामराज को शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी और महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। आजादी के बाद 13 अप्रैल 1954 को के कामराज को अनिच्छा से तमिलनाडु के सीएम का पद स्वीकार करना पड़ा। हालांकि इससे प्रदेश को एक ऐसा नेता मिला, जिसने जनता के हित के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए। के कामराज लगातार तीन बार राज्य के सीएम बने।


बढ़ाई साक्षरता दर

के कामराज ने तमिलनाडु की साक्षरता दर को 7 फीसदी से बढ़ाकर 37 फीसदी तक पहुंचा दिया था। आजादी के बाद उन्होंने तमिलनाडु में जन्मी पीढ़ी के लिए बुनियादी संरचना पुख्ता की थी। के कामराज ने ऐसी व्यवस्था की कि कोई भी गांव बिना प्राथमिक स्कूल के न रहे। उन्होंने निरक्षरता हटाने का प्रण लिया और 11वीं कक्षा तक शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य कर दिया था। वहीं गरीब बच्चों के लिए स्कूल में मिड डे मील योजना लेकर आए।


आजाद भारत के पहले किंगमेकर

के कामराज को आजाद भारत का पहला किंगमेकर भी माना जाता है। दो बार पीएम बनने का मौका मिलने के बाद भी उन्होंने यह पद स्वीकार नहीं किया। साल 1964 में पंडित नेहरू के निधन के बाद कांग्रेस नेतृत्व के संकट से जूझ रही थी। तब के कामराज ने बतौर पार्टी अध्यक्ष लाल बहादुर शास्त्री को पीएम पद की कुर्सी तक पहुंचाया। फिर शास्त्री की अचानक मौत होने से पीएम कुर्सी एक बार फिर खाली हो गई। इस बार भी कामराज के पास पीएम बनने का मौका था, लेकिन उन्होंने यह पद नहीं स्वीकार किया।


इंदिरा गांधी से बढ़े मतभेद

के कामराज और उनके सहयोगियों को कांग्रेस में 'सिंडिकेट' के नाम से जाना जाता था। नेहरू की मौत के बाद कांग्रेस में 'सिंडिकेट' की ताकत बहुत बढ़ गई थी। वहीं इंदिरा गांधी के पीएम बनने के बाद उन्होंने पार्टी में कामराज की पकड़ कमजोर करने का काम शुरू कर दिया। सिंडिकेट पार्टी चला रहा था और इंदिरा सरकार चला रही थीं। इस बीच पार्टी और सरकार के बीच मतभेद बढ़ने लगे। जिस कारण साल 1969 में औपचारिक रूप से पार्टी का विभाजन हो गया।


चुनाव में मिली हार

साल 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को कई राज्यों में हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा में भी 285 सीटें मिलीं। वहीं के कामराज खुद तमिलनाडु में अपनी गृह विधानसभा विरदुनगर से चुनाव हार गए। तब इंदिरा गांधी ने कहा कि हारे हुए नेताओं को पद छोड़ना चाहिए। जिसके चलते कामराज ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ दिया।


ढलने लगा कामराज का सितारा

कांग्रेस पार्टी कांग्रेस ओ (ऑर्गनाइजेशन) और इंदिरा गांधी की कांग्रेस (रूलिंग) में बंट गई। जिसके बाद के कामराज ने केंद्र की राजनीति छोड़ दी और तमिलनाडु का रास्ता पकड़ा। साल 1971 में हुए चुनाव में कामराज को जीत तो मिली, लेकिन संगठन के अधिकतर नेताओं को हार मिली। इंदिरा को कांग्रेस का जनादेश मिला और के कामराज की राजनीति का सूरज ढलने लगा।


मृत्यु

वहीं 02 अक्तूबर 1975 को हार्ट अटैक के कारण के कामराज का निधन हो गया।

प्रमुख खबरें

Sarkari Naukari: 10वीं पास के लिए खुशखबरी! सरकारी नौकरी का सुनहरा मौका, ₹56900 तक बेसिक सैलरी होगी

बिहार में राष्ट्रीय उत्साह, ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज स्पोर्ट्स मीट 2025–26 का भव्य आयोजन 13–15 दिसंबर तक पटना में

रणवीर की धुरंधर की कायल हुईं Iltija Mufti, फिल्म में महिला किरदारों को लेकर दिया खास संदेश

Vishwakhabram: PM Modi की Jordan, Ethiopia, Oman Visit का महत्व क्या है? किस दिशा में जा रही है भारत की विदेश नीति?