एक राजा जिसने गुस्से में तोड़ा CM का हेलीकॉप्टर, फिर हुआ उसका फेक एनकांउटर, मुख्यमंत्री को गंवानी पड़ी कुर्सी

By अभिनय आकाश | Jul 22, 2020

राजस्थान के बहुचर्चित और भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह हत्याकांड में 14 आरोपितों में 11 को दोषी ठहराया गया है। तीन आरोपितों को बरी कर दिया गया है। 11 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी माना है। तत्कालीन डीएसपी कानसिंह भाटी जिनकी गोली लगने से राजा मानसिंह की मौत हुई थी उन्हें भी सजा दोषी करार दिया है। 

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कौन थे राजा मानसिंह और क्या हुआ था

आजाद भारत के एक ऐसे राजा जिन्होंने गुस्से में आकर अपनी जीप से तोड़ दिया था मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टरऔर मंच। राजा मानसिंह जो भरतपुर के महाराजा श्री कृष्ण सिंह के पुत्र थे। 1952 से 1984 तक वो लगातार निर्दलीय विधायक के तौर पर जीतते रहे। लेकिन साल 1985 में विधानसभा चुनाव के दौरान भरतपुर के राजा मानसिंह डीग विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। 20 फरवरी 1985 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर राजा मानसिंह के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा के लिए डीग आए। चुनावी भाषण में सीएम माथुर ने भरतपुर राजघराने पर कुछ टिप्पणी कर दी और उनके समर्थकों ने उनके झंडे का अपमान किया। यह वाक्या सुन राजा मानसिंह आपा खो बैठे और उन्हें इतना गुस्सा आ गया कि वह स्वयं अपने जोंगे (जीप) के साथ तेजी से सभास्थल पहुंचे और मंच को धराशायी कर दिया तथा स्वागत द्वार भी तोड़ दिए। और तो और राजा मानसिंह ने गुस्से में अपनी जीप की टक्कर से मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर भी तोड़ दिया। पुलिस ने उस वक्त मानसिंह के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला भी दर्ज किया। माथुर को सड़क मार्ग से जयपुर जाना पड़ा। इसके बाद वहां पर आक्रोश फूट पड़ा। आशंका जताई गई कि कांग्रेस और राजा के समर्थक भिड़ सकते हैं, इसलिए कर्फ्यू लगा दिया गया। वे इस घटना के बाद 21 फरवरी को अपने कुछ साथियों के साथ जा रहे थे। उस वक्त उनके साथ हरिसिंह, सुमेर सिंह, मलखान सिंह आदि मौजूद थे। पुलिस ने उन्हें घेर लिया था। ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी थी। घटना में राजा मान सिंह, उनके साथ सुम्मेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई थी। उनके शव जोगा जीप में मिले थे। 

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जल उठा भरतपुर और गई सीएम की कुर्सी

इस घटना के बाद पूरा भरतपुर जल उठा। इसकी तपिश मथुरा, आगरा और पूरे राजस्थान में महसूस की गई। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था कि किसी सिटिंग एमएलए का दिनदहाड़े एनकाउंटर किया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री पर आरोप लगे कि उनकी शह पर पुलिस ने इस फेक एनकाउंटर को अंजाम दिया है। जिसके बाद 23 फरवरी 1985 को माथुर को इस्तीफा देना पड़ा। हीरा लाल देवपुरा को सीएम बनाया गया।

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35 साल की कानूनी लड़ाई

हत्याकांड के बाद राजा मानसिंह की बेटी और पूर्व पयर्टन मंत्री कृष्णेंद्र कौर 'दीपा' ने डीएसपी समेत उक्त सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करवाया था। इस हत्याकांड में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। सुनवाई के दौरान एएसआई नेकीराम, कांस्टेबल कुलदीप और सीताराम की मौत हो चुकी है।  कानसिंह भाटी के चालक महेंद्र सिंह को जिला जज की अदालत पहले ही बरी कर चुकी है। इस केस में करीब 1700 तारीख पड़ी हैं और कई बार जज बदले हैं और करीब 35 वर्ष बाद इस पर फैसला आया। 


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