गहलोत के अड़ियल रवैये के कारण सचिन पायलट के सब्र का बाँध अब टूटने की कगार पर

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 11, 2021

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच विवाद एक बार फिर गहराता नजर आ रहा है। दरअसल सूत्रों के मुताबिक अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल विस्तार करने से फिलहाल इंकार कर दिया है जिससे पायलट समर्थकों के मंत्री बनने की आस को झटका लगा है। कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निर्देश दिये थे कि जिन मंत्रियों का प्रदर्शन खराब है उनको मंत्रिमंडल से बाहर किया जाये और निर्दलीय तथा बसपा से कांग्रेस में आये विधायकों के अलावा सचिन पायलट समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाये। इसके लिए नाम भी लगभग तय कर लिये गये थे। राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने हाल ही में जयपुर दौरे के दौरान विधायकों के मन की बात जानी थी और सरकार तथा संगठन के नेताओं के साथ चर्चा के बाद कहा था कि बड़ी संख्या में मंत्रियों को संगठन के कामकाज में लगाया जा सकता है और नये चेहरों को सरकार में काम करने का मौका दिया जा सकता है। देखा जाये तो ऐसे बयान अजय माकन पिछले एक साल में कई बार दे चुके हैं इसलिए सचिन पायलट समर्थकों के सब्र का बाँध अब टूटता नजर आ रहा है।

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इस बात की भी अटकलें चल रही हैं कि सचिन पायलट भाजपा के करीबी संपर्क में हैं हालाँकि सचिन बार-बार पूछे जाने पर यही कहते हैं कि वह भाजपा में नहीं जाएंगे। लेकिन सचिन यह भी देख रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान से भरोसा मिलने के बावजूद उनकी बात मुख्यमंत्री सुन नहीं रहे हैं। सचिन पायलट को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के बाद उन्हें नाकारा बता चुके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बात को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है कि सचिन गुट के आगे झुकना नहीं है, इससे पूरी कांग्रेस पार्टी के सामने असहज स्थिति हो गयी है। मुख्यमंत्री पिछले कुछ महीनों से अपने घर से नहीं निकले हैं और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही समीक्षा बैठकें कर रहे हैं जिस पर भाजपा ने भी निशाना साधते हुए कहा है कि बाढ़ प्रभावित जनता का बुरा हाल है और सरकार अपने सरकारी निवास से बाहर नहीं निकल रही है।

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सचिन पायलट समर्थकों ने जिस तरह गांधी परिवार के बाद सचिन को सबसे लोकप्रिय नेता बताना शुरू कर दिया है उसे गहलोत हल्के में भले ले रहे हों लेकिन उन्हें पंजाब का उदाहरण देखना चाहिए जहां आलाकमान के आगे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की एक नहीं चली और उन्हें नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात माननी ही पड़ी।

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