कर्ज के बोझ तले मौत पाता अन्नदाता, कर्जमाफी के वादे कितने सही?

By अभिनय आकाश | Jun 25, 2019

बहुत अलग होता है देख कर कुछ कहना और जी कर कुछ कहना। 11 दिसंबर 2018 को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आए। ये नतीजे भाजपा से कांग्रेस के हाथ जीत मंत्र थमा गए। कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखने वाली भाजपा पर कांग्रेस ने उसी के गढ़ राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 3-0 का क्लीन-स्वीप कर जीत का आनंद प्राप्त कर लिया। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस का कैंपेन लीड कर रहे थे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी। राहुल के इन तीन राज्यों में दिए हर भाषण में एक बात कॉमन थी जो कांग्रेस की जीत का भी एक कारण मानी जाती रही। ये है किसानों की कर्जमाफी। राहुल हर जगह कहते रहे कि कांग्रेस सरकार में आते ही कर्जा माफी करेगी। भारत वह देश है जहां दूध का क़र्ज़ चुकाने की बात कही जाती है और कहने को तो यह एक कृषि प्रधान देश है। लेकिन इसे हमारे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि खेतों में पसीना बहाकर दूसरों के लिए अन्न उगाता अन्नदाता कर्ज के बोझ से छुटकारा न मिलते देख आत्महत्या को मजबूर है। ऐसी ही एक खबर राजस्थान के गंगानगर से आई जब कर्ज से परेशान किसान ने अपनी जान दे दी। श्रीगंगानगर जिले के रायसिंह नगर क्षेत्र के ठाकरी गांव में सोहनलाल मेघवाल नामक किसान ने जहर खाकर अपनी जान दे दी और बैंक की तरफ से कर्ज चुकाने का दबाव बनाए जाने को वजह बताया है। 

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जहर खाने से पहले किसान ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी डाला और कहा कि आप सभी को मेरा आखिरी राम-राम। सोहनलाल ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उसने अपनी मौत का जिम्मेदार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को ठहराया है। सुसाइड नोट में किसान ने लिखा कि पायलट और गहलोत ने वादा किया था कि सरकार आने के बाद दस दिन में कर्ज माफ हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। साथ ही किसान ने अपनी लाश को तबतक ना उठाने की अपील की जब तक उनके भाईयों का कर्ज माफ ना हो। किसान का सुसाइड नोट पुलिस को मिला। इसमें सीएम गहलोत व डिप्टी सीएम पायलट के नाम हैं। लेकिन पुलिस ने दोनों के ही खिलाफ एफआईआर करने से इंकार कर दिया। पुलिस ने कहा कि वह साक्ष्यों की जांच कर रही है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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सुसाइड नोट में नाम लिखे होने के मामले पर सचिन पायलट ने घटना को अफसोसजनक बताते हुए कहा कि मामले की जांच की जा रही है। अब तक मुझे जो भी जानकारी मिली है, वह व्यक्ति वास्तव में कर्ज में नहीं था। राजस्थान सरकार राज्य में किसानों के लिए बेहतर भविष्य हासिल करने में मदद के लिए प्रतिबद्ध है। किसान की आत्महत्या के बाद मामले ने तूल पकड़ा और सांसद निहालचंद ने इस संबंध में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने बताया है कि मृतक के नाम 6 बीघा जमीन है और उस पर दो बैंकों का लाखों रुपए कर्ज है।

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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक देश में 1995 से 2015 तक कुल 3,22,028 किसानों ने खुदकुशी की है। 2016 के बाद केंद्र सरकार ने किसानों की खुदकुशी के आंकड़े नहीं जारी किए। लेकिन इस दौरान देश व राज्य की सरकारों ने किसानों से वादे तो बहुत किए, लेकिन किसानों के पास मरने के सिवा कोई चारा नहीं है। भारत के कई राज्यों में हज़ारों की संख्या में किसान क़र्ज़, फ़सल की लागत बढ़ने, उचित मूल्य न मिलने, फ़सल में घाटा होने, सिंचाई की सुविधा न होने और फ़सल बर्बाद होने के चलते आत्महत्या कर लेते हैं। लेकिन यह एक बहुत बड़ा विरोधाभास है कि क़र्ज़ सिर्फ गरीबों और किसानों को चुन-चुन कर मारता है। इस दौर में जब बहुत कुछ किसानों के पक्ष में नहीं, बल्कि अपनी-अपनी राजनीति को चमकदार बनाने के लिए होता है। उसकी आशा भरी निगाहें वादों के आशियाने तले दम तोड़ती नजर आती हैं। गंगानगर में किसान की मौत के बाद राजस्थान सरकार की कर्ज माफी योजना पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। 

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बता दें कि राजस्थान खेती-किसानी के लिए सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले राज्यों में शामिल है। संसद में पेश की गई केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां के हर किसान परिवार पर औसतन 70,500 रुपये का कर्ज है। साहूकारों से कर्ज लेने के मामले में भी राजस्थान तीसरे नंबर पर है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से संसद में एनएसएसओ के हवाले से पेश की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के हर किसान पर औसतन 47 हजार रुपये का कर्ज है।