लीजिये, छत्तीसगढ़ में कलेक्टर साहब बताएंगे MP, MLA को उद्घाटन करना है या नहीं

By नीरज कुमार दुबे | Aug 20, 2019

क्या सांसदों और विधायकों को किसी लोकार्पण, भूमि पूजन और शिलान्यास आदि कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए कलेक्टर की मंजूरी लेनी पड़ती है ? जवाब होगा नहीं यह तो उनका अधिकार है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ में अब जनप्रतिनिधियों के लिए किसी शिलान्यास, लोकार्पण आदि कार्यक्रमों के लिए शासन की मंजूरी लेनी होगी। जी हाँ मामला राजनांदगांव का है जहां के कलेक्टर ने 19 अगस्त को एक आदेश जारी कर जनप्रतिनिधियों द्वारा किसी भी प्रकार के लोकार्पण/ भूमिपूजन/ शिलान्यास आदि कलेक्टर के बिना अनुमति के किया जाना पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया है। इस आदेश के बाद राज्य की राजनीति में नया उबाल आ गया है और छत्तीसगढ़ में मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि कलेक्टर का उक्त आदेश जनप्रतिनिधियों का अपमान है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने प्रभासाक्षी के साथ बातचीत में कहा कि ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत तथा नगरीय प्रशासन एवं निर्माण समितियों द्वारा कराये गये निर्माण कार्यों के उद्घाटन के संबंध में किसे आमंत्रित किया जाना है इसका निर्णय वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधि करते हैं। यह सर्वमान्य प्रक्रिया वर्षों से चल रही है, इस परम्परा पर बौखलाहट में कुठाराघात कर राज्य शासन ने लोकतंत्र की हत्या की है। कौशिक ने कहा कि त्रिस्तरीय निगम और पंचायत चुनावों में लोकसभा की तरह ही अपनी आसन्न हार से कांग्रेस विचलित है लेकिन बजाय जनता का भरोसा जीतने के भूपेश गुट पूरी तरह से प्रतिशोध पर उतारू है। कौशिक ने कहा कि इस चुनाव में भी जनता इस सरकार को माकूल जवाब देगी।

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उधर, राजनांदगांव के सांसद संतोष पाण्डेय ने कहा है कि कलेक्टर ने जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन किया है और यह निर्वाचित लोगों का अपमान है। प्रभासाक्षी के साथ खास बातचीत में संतोष पाण्डेय ने बताया कि राजनांदगांव के ग्राम-पंचायत सहसपुर दल्ली, खैरा व बाटगांव विकासखंड, राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र के डोंगरगढ़ में स्थानीय सरपंच व जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों के आमंत्रण पर भवनों के लोकार्पण का कार्यक्रम निर्धारित था किन्तु अचानक 17 अगस्त की देर रात को प्रशासन द्वारा उक्त भवनों को सील कर दिया गया। यही नहीं पुलिस प्रशासन द्वारा 18 अगस्त की रात उन पंचायतों के सरपंच क्रमशः संतराम नागपुरे, सरस्वती कौशिक एवं मनीष यादव को थाना लाने का भी प्रयत्न किया गया। साथ ही जिला पंचायत राजनांदगांव द्वारा बंसत कुमार साहु सचिव ग्राम पंचायत बाटगांव, मोरध्वज पटेल ग्राम पंचायत खैरा, विजय कुमार वर्मा सचिव ग्राम पंचायत सहसपुर दल्ली को 19 अगस्त को अचानक निलंबित भी कर दिया गया। तीनों निलबंन आदेश एक साथ एक ही मनगढन्त आरोप से जारी किये गये हैं। उन्होंने सरकार से कार्रवाई निरस्त करने की मांग भी की है।

 

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उधर, रायपुर से भाजपा सांसद और पूर्व महापौर सुनील सोनी ने इस मुद्दे पर प्रभासाक्षी के साथ बातचीत में कहा कि भूपेश बघेल सरकार लोकसभा चुनावों की हार से मिले सदमे से उबर नहीं पाई है इसीलिए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को रोकने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों के अधिकारों पर जो कुठाराघात किया गया है उसका उनकी पार्टी भर्त्सना करती है।

 

 

 

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