साक्षात्कारः आठवले ने कहा- राहुल गांधी दलित लड़की से शादी करें तो भाग्य बदल सकता है

By डॉ. रमेश ठाकुर | Sep 07, 2020

सियासत में कुछ विरले ही राजनेता ऐसे हैं जो बेबाक बोलते हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले उन्हीं में से एक हैं। उनका शायराना अंदाज़ भी लोगों को पसंद है। अपनी बात रखने में कोई लागलपेट नहीं, जो मन में आया बोल दिया। समय और जगह की भी परवाह नहीं करते। फिर चाहे संसद हो, या चुनावी सभाएँ? सवालों पर जवाब देने की शैली भी उनकी औरों से अलग होती है। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रामदास आठवले से कोरोना की स्थिति, आने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी क्या होगी भूमिका के अलावा सुशांत प्रकरण जैसे तमाम मसलों पर डॉ0 रमेश ठाकुर ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-

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प्रश्न- बदलाव के साथ संसद का सत्र शुरू होने वाला है इस पर क्या प्रतिक्रिया है?


उत्तर- कोरोना काल ने संसद क्या सभी को बदल दिया है। संसद सत्र किसी भी सूरत में चलाया जाना चाहिए। न चलने के कई तरह के दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। क्योंकि देश की तरक्की और नियत-नीति सत्र पर ही निर्भर करती हैं। सब कुछ इसी लोकतंत्र के मंदिर के माध्यम से होता है। संसद सत्र जितना देरी से शुरू होगा, उतना ही नुकसान देश की जनता का होगा। ग़रीबों की अनसुनी आवाजें जन प्रतिनिधियों व सांसदों के जरिए संसद में ही बुलंद होती हैं। नई रूपरेखा और नए नियमों के साथ संसद सत्र आरंभ होने वाला है।


प्रश्न- सुनने में आया है इस बार संसद में कोई सदस्य सवाल भी नहीं कर सकेगा?


उत्तर- मीडिया के माध्यम ये सुना तो मैंने भी है, पर अपनी बात रखने का तरीका क्या होगा मुझे भी नहीं पता। मेरे पास अभी तक कोई अधिकृत सूचना नहीं आई है। मन में एक सवाल उठता है कि बिना सवाल के संसद का क्या मतलब। क्या सांसद सिर्फ दर्शक बनकर सदन की कार्यवाही देखेंगे, सुनेंगे। निश्चित रूप से कुछ और तरीका इजाद किया गया होगा।


प्रश्न- सुशांत मामले में आपने भी सीबीआई जांच की मांग की थी। क्या आपको लगता है केस की तफ्तीश ठीक दिशा में है?


उत्तर- जी हां। मैंने डे वन से ही केस को सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। सुशांत के साथ अनहोनी हुई है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। मैं कई मर्तबा सुशांत से मिला था। उनका जिंदा दिल व्यवहार देखकर कभी लगा ही नहीं कि वह आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है। सीबीआई को केस अभी-अभी सौंपा गया है। हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए। मुझे जहां तक लगता है सीबीआई हर उस एंगल को खंगालेगी जहां से उसको सुराग मिलने की संभावनाएं होंगी। जांच में ड्रग्स का एंगल निकला है, इसके तार कइयों से जुड़े हो सकते हैं। कुछ अरेस्टिंग भी हुई हैं उनसे पूछताछ में बहुत कुछ निकलेगा।

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प्रश्न- मामले के कुछ छींटे सियासी लोगों के दामन पर भी लग रहे हैं?


उत्तर- देखिए, सीबीआई एक स्वतंत्र जांच संस्था है। अगर उसे लगता है कि किसी पार्टी या नेता का हाथ है तो उसे बिना किसी की परवाह किए बाहर खींचकर लाना चाहिए। ताकि लोगों को भी उनकी हकीक़त पता चले। लेकिन जहां तक मेरी जानकारी है इसमें किसी जन प्रतिनिधि का हाथ नहीं? हम सभी जानते हैं कि फिल्म जगत जितना रंगीन दिखता है, अंदर से उतना ही काला है। अंदर खाने की सच्चाई जिस दिन सबको पता चलेगी, तो लोग घृणा करने लगेंगे। छोटे शहरों से आकर मायानगरी में अपना भविष्य बनाने वाले लोगों को वहां के खलीफा फूटी आँख नहीं सुहाते। सुशांत का कॅरियर बूम कर रहा था, फिल्मों में अच्छा कर रहा था। उससे शायद कुछ लोगों को चिढ़ भी होने लगी थी। इस केस में हम अभी किसी निर्णय पर नहीं जा सकते, सिर्फ कयास लगा सकते हैं। सच्चाई क्या है ये सीबीआई की जांच पर ही टिका है। इसलिए थोड़ा इंतजार करना होगा।


प्रश्न- केंद्र सरकार से आपने दोबारा से लॉकडाउन लगाने की मांग की थी?


उत्तर- हां मैंने प्रधानमंत्री से मांग की थी। कोरोना केसों में दोबारा से इज़ाफा होने लगा है। दिल्ली में अगस्त माह में काफी गिरावट आई थी, लेकिन अचानक से फिर मामलों में तेजी आ गई। इन्हीं को ध्यान में रखकर मेरे मन में आया कि दोबारा से लॉकडाउन लगना चाहिए। बाकी केंद्र सरकार पर निर्भर करता है। देखिए, हम ज्यादा समय तक लोगों को घरों में भी कैद नहीं कर सकते। रोजी-रोटी भी कमानी होती है लोगों को। उनकी कमाई से ही सरकारों का भी भला होता है। सभी बातों को ध्यान में रखा जाता है।


प्रश्न- क्या आप इससे इत्तेफ़ाक रखते हैं कि कोरोना को नियंत्रण करने में केजरीवाल का ‘दिल्ली मॉडल’ कारगर साबित हुआ है?


उत्तर- केजरीवाल झूठ की दुकान चलाते हैं। दिल्ली में मई-जून माह में जब कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे थे। तब गृह मंत्री अमित शाह ने खुद मोर्चा संभाला था। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके अधिकारियों के साथ बैठक करके नई कार्ययोजना बनाई थी, जिसे दिल्ली में लागू किया गया था। उसके बाद दिल्ली के हालात में सुधार हुआ। लेकिन उसका श्रेय केजरीवाल खुद लेना चाहते हैं। जबकि, सच्चाई यही है कि गृह मंत्री की सतर्कता के चलते कुछ हद तक कोरोना दिल्ली में थमा था। अब रोक लें, फिर से वैसे ही हालात बनते जा रहे हैं राजधानी दिल्ली में?

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प्रश्न- बढ़ते कोरोना मामलों के बीच बिहार चुनाव की तैयारियाँ भी जोरों पर हैं?


उत्तर- डब्ल्यूएचओ या दूसरे स्वास्थ्य संगठनों की मानें तो कोरोना अभी समाप्त होने वाला नहीं। इसलिए कोरोना के खत्म होने का इंसान कब तक इंतजार करता रहेगा। यातायात, दुकानें, बाजारें, काम धंधे व रेलगाड़ियां सबके सब बंद थीं। उन्हें एक-एक करके संचालित किया जा रहा है। जरूरी भी है? राजनीति और चुनाव भी इन्हीं का हिस्सा हैं। वर्चुअल तरीके से सियासी हलचलें काफी पहले से शुरू हैं। धीरे-धीरे माहौल सामान्य हो रहा है। चुनाव भी होंगे, चर्चाएं भी होंगी और दूसरे काम धंधे भी होंगे।


प्रश्न- आपने राहुल गांधी को शादी करने की सलाह दी है? 


उत्तर- दोस्त होने के नाते उनको मेरी सलाह है। राहुल गांधी को सबसे पहले किसी दलित लड़की से शादी कर लेनी चाहिए। शादी के बाद उनका भाग्य जोर मारेगा। बिना शादी वाले इंसान को कोई अपना घर भी किराए पर नहीं देता, तो भला लोग देश की बागडोर कैसे सौंप देंगे। इसलिए सबसे पहले अच्छा समय देखकर किसी पढ़ी-लिखी दलित लड़की से राहुल गांधी को शादी करनी चाहिए।  


-जैसा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने डॉ रमेश ठाकुर से कहा।

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