By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 26, 2020
नयी दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज का सऊदी अरामको के साथ साझेदारी करने का आशय उसका ऊर्जा कारोबार से बाहर होना नहीं, बल्कि यह कारोबार में विस्तार का संकेत देता है। बाजार का आकलन करने वाली कंपनी बर्नस्टीन ने अपने एक अध्ययन में यह बात कही है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त में रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी ने अपने रिफाइनरी का कारोबार की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी सऊदी अरब की राष्ट्रीय तेल कंपनी सऊदी अरामको को बेचने के लिए शुरुआती समझौता किया था। इसके अलावा अपने पेट्रोल पंप कारोबार की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी 7,000 करोड़ रुपये में ब्रिटेन की बीपी को बेची है। बर्नस्टीन ने अपनी रपट में कहा, ‘‘ रिलायंस ने अपने नए कारोबार को ऊर्जा क्षेत्र से दूर रखा है। लेकिन अभी भी उसकी कर पूर्व आय का 64 प्रतिशत ऊर्जा कारोबार से आता है। भले ही रिलायंस ने अपनी हिस्सेदारी बीपी और अरामको को बेची है लेकिन हमें उम्मीद है कि वह अपने रिफाइनरी और पेट्रोरसायन कारोबार का विस्तार करेगी।
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रपट में कहा गया है कि देश में रिफाइनरी और पेट्रो रसायन उत्पादों के लिए व्यापक वृद्धि की संभावनाएं मौजूद हैं। अभी देश में पेट्रोलियम उत्पादों की सबसे कम प्रति व्यक्ति मांग 1.3 बैरल है। अगले दो दशक में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 50 लाख बैरल प्रति दिन से बढ़ने की संभावना है। यह किसी भी अन्य बाजार के तुलना में कहीं अधिक होगा। एथिलीन की सालाना मांग पांच किलोग्राम प्रति व्यक्ति से बढ़कर 50-60 किलोग्राम प्रति व्यक्ति हो सकती है।
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बर्नस्टीन ने कहा, ‘‘रिलायंस का अरामको और बीपी के साथ साझेदारी करना उसके इस कारोबार से हटने के बजाय इसके विस्तार का संकेत देता है। अरामको के निवेश से बाजारों तक पहुंच और वृद्धि सुनिश्चित होगी।’’ रपट में कहा गया है कि बीपी के साथ साझेदारी के चलते ईंधन विपणन का कारोबार तेजी से बढ़ेगा। कंपनी की योजना पेट्रोल पंपों की संख्या 5,500 पहुंचाने की है।