Vladimir Putin India Visit 2021 | S-400 से लेकर AK-203 राइफल तक, पुतिन की भारत यात्रा से जुड़े महत्वपूर्ण 10 पॉइंट

By रेनू तिवारी | Dec 06, 2021

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक दिन के दौरे पर सोमवार को भारत पहुंचेंगे। वह सालाना शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इससे पहले नई दिल्ली में उद्घाटन 2+2 प्रारूप संवाद होगा। रक्षा, व्यापार और निवेश, ऊर्जा और तकनीक के अहम क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत करेंगे। यात्रा के दौरान, भारत और रूस नई दिल्ली में पहला 2+2 प्रारूप संवाद करेंगे और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति सहित प्रमुख द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। पुतिन ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह पीएम मोदी के साथ "विशेष रूप से विशेषाधिकार प्राप्त" रूसी-भारतीय संबंधों को और विकसित करने के लिए नई "बड़े पैमाने पर" पहल पर चर्चा करना चाहते हैं। यह साझेदारी दोनों राज्यों के लिए वास्तविक पारस्परिक लाभ लाती है। द्विपक्षीय व्यापार अच्छी गतिशीलता दिखाता है; ऊर्जा क्षेत्र, नवाचार, अंतरिक्ष और कोरोनावायरस टीकों और दवाओं के उत्पादन में संबंध सक्रिय रूप से विकसित हो रहे हैं।


व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा

भारत और रूस के सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर वार्ता में रक्षा, व्यापार और निवेश, ऊर्जा और तकनीक के अहम क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने की संभावना है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। शिखर वार्ता के साथ ही पहली ‘टू प्लस टू’ रक्षा और विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता में दोनों पक्षों के अफगानिस्तान में स्थिति और लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों समेत आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर भी बातचीत करने की संभावना है। ऐसा बताया जा रहा है कि शिखर वार्ता के बाद जारी होने वाले संयुक्त बयान में सीमा पार आतंकवाद और अफगान संकट के कारण सुरक्षा पर पड़ने वाले असर को लेकर भारत की चिंताओं को व्यक्त किया जा सकता है।

 

व्लादिमीर पुतिन और नरेंद्र मोदी की मुलाकात

पुतिन सोमवार को दिल्ली पहुंचेंगे जबकि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और रक्षा मंत्री सर्गेई शोयगू रविवार रात को पहुंच रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन शाम साढ़े पांच बजे शिखर वार्ता शुरू करेंगे और रूसी नेता रात साढ़े नौ बजे दिल्ली से उड़ान भरेंगे। शिखर वार्ता के मद्देनजर भारत ने अमेठी के कोरवा में पांच लाख से अधिक एके-203 असॉल्ट राइफल्स के विनिर्माण के लिए करीब 5,000 करोड़ रुपये के लंबित एके 203 कलाश्निकोव राइफल्स समझौते को मंजूरी दे दी है। दोनों पक्षों के साजोसामान सहयोग समझौते के लिए बातचीत के अंतिम चरण को भी पूरा करने की संभावना है। इस समझौते पर शिखर वार्ता या ‘टू प्लस टू’ वार्ता में हस्ताक्षर हो सकते हैं। भारत और रूस के प्रौद्योगिक और विज्ञान पर संयुक्त आयोग की घोषणा करने के अलाव शिखर वार्ता में सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए अगले दशक की रूपरेखा तय करने की भी संभावना है। दोनों पक्ष भारतीय सशस्त्र सेनाओं के लिए 200 दोहरे इंजन वाले कामोव-226टी हल्के हेलीकॉप्टर के संयुक्त उत्पादन के लिए लंबित परियोजना पर विचार विमर्श करने के अलावा कई रक्षा खरीद प्रस्तावों पर भी बातचीत कर सकते हैं।

 

यहां पुतिन की यात्रा और अपेक्षित एजेंडे के बारे में बड़े बिंदु दिए गए हैं:

  • नवंबर 2019 में ब्रासीलिया में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर बैठक के बाद पुतिन और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीच यह पहली व्यक्तिगत बैठक होगी।
  • शिखर सम्मेलन के दौरान रक्षा, व्यापार, अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और संस्कृति में सहयोग को गहरा करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।
  • समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया रूसी राष्ट्रपति एस-400 वायु रक्षा प्रणाली का मॉडल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेंगे। 
  • दोनों देश भारत में AK-203 असॉल्ट राइफलों के उत्पादन के लिए 5,100 करोड़ से अधिक का एक बड़ा सौदा भी करेंगे। इन राइफलों का उत्पादन उत्तर प्रदेश के अमेठी में किया जाएगा।
  • एके-203 राइफलें तीन दशक से भी अधिक समय पहले शामिल की गई इंसास राइफलों की जगह लेंगी। भारतीय सेना को इनमें से 7.5 लाख राइफलें हासिल करने की उम्मीद है।
  • भारत-रूस संयुक्त उद्यम कंपनी द्वारा पांच लाख से अधिक राइफलों के उत्पादन से अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के सात वर्षों के भीतर प्रौद्योगिकी का पूर्ण हस्तांतरण होगा।
  •  एएनआई ने आगे कहा कि दोनों पक्ष इगला वायु रक्षा प्रणाली सौदे पर चर्चा करेंगे लेकिन इस यात्रा के दौरान इस पर हस्ताक्षर होने की संभावना नहीं है।
  •  एक प्रमुख समझौता जिस पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं वह है रिसीप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (आरईएलओएस), जो दोनों देशों की सेनाओं को एक दूसरे के ठिकानों पर रसद और समर्थन सुविधाओं तक पहुंचने की अनुमति देगा।
  • भारत और रूस रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु और विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के बीच नई दिल्ली में पहली 2+2 प्रारूप वार्ता भी करेंगे।
  • मंत्रियों से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति और अफगानिस्तान और सीरिया के घटनाक्रम सहित प्रमुख क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर गहन चर्चा करने की उम्मीद है। 

सूत्रों के अनुसार, भारत, रूस को विभिन्न क्षेत्रीय घटनाक्रम पर अपनी चिंताओं के साथ ही पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद पर अपना रुख भी बता सकता है। विवाद को हल करने में रूस की संभावित भूमिका के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि भारत का हमेशा से मानना है कि मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से हल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि रूस में कोविड-19 के मौजूदा हालात के बावजूद राष्ट्रपति पुतिन का भारत की यात्रा करने का फैसला यह दिखाता है कि वह भारत के साथ संबंध को कितनी महत्ता देते हैं। एक के बाद एक महत्वपूर्ण बैठकों का हवाला देते हुए एक सूत्र ने बताया, ‘‘छह दिसंबर पूरी तरह से रूसी दिवस होगा।’’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने रूसी समकक्ष शोयगू के साथ बातचीत करेंगे। इसके अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के विदेश मंत्री लावरोव के साथ बातचीत करेंगे। इसके बाद दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री रात साढ़े 11 बजे ‘टू प्लस टू’ वार्ता करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन 21वीं भारत-रूस शिखर वार्ता से पहले बैठक करेंगे। रूसी नेता के लिए रात्रि भोज का आयोजन किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि व्यापार, ऊर्जा, संस्कृति, रक्षा और तकनीक समेत विभिन्न क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। एक अन्य सूत्र ने बताया, ‘‘वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों के अलावा रूस के साथ हमारे संबंध बहुत स्थिर हैं।’’

रक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष सैन्य उपकरण और मंचों के सह-उत्पादन और सह-विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे। निवेश संबंधों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि 2018 में 30 अरब डॉलर का लक्ष्य पहले ही पूरा कर लिया गया और अब 2025 तक 50 अरब डॉलर का लक्ष्य है। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया वाले क्वाड पर रूस की कड़ी आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि नयी दिल्ली किसी भी गुट का नहीं है और वह हिंद-प्रशांत में पैदा हो रही स्थिति के आधार पर मुद्दे पर आधारित सहयोग दे रहा है।

उन्होंने कहा कि रूस हिंद-प्रशांत के लिए भारत की दूरदृष्टि की सराहना करता है। सूत्रों ने बताया कि भारत रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र के साथ व्यापार संबंध बढ़ाने का भी इच्छुक है और इस क्षेत्र के 11 गवर्नर्स को आगामी वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है। आखिरी भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता सितंबर 2019 में हुई थी जब मोदी व्लादिवोस्तोक गए थे। पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण शिखर वार्ता नहीं हो सकी।

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