कलाम जी की कलम से- सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते

By रेनू तिवारी | Apr 20, 2020

वैसे तो बहुत से लोग है जिन्होंने जिंदगी की बहुत ही बड़ी-बड़ी उलझन, हकीकत और परेशानियों को बहुत ही कम शब्दों में बांध कर लिख दिया। कुछ ऐसी भी महान लोग है जिन्होंने अपनी कामयाबी का मूल मंत्र चंद शब्दों में पिरोकर उसे बहाल कर दिया। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जितने महान थे उतने ही ऊंचे उनके विचार थे। वैसे तो उन्होंने काफी कुछ लिखा है लेकिन आज हम बात करेंगे उनके उस कोट् के बारे में जिसने सपने देखने की परिभाषा को ही बदल कर रख दिया। कलाम जी का सपनों को लेकर कुछ अलग की सोचना था उन्होंने कहा कि "सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते"। उनकी इस बात ने लोगो को जिंदगी में नये सपने बुनने के लिए एक ऊंची उड़ान दी।


"सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते" का मतलब

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जिन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जानते है ने कहा था कि "सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते" इसका मतलब ये है कि जब हम अपनी जिंदगी में कुछ करने के लिए ठान लेते है तो उसे पाने के लिए हम हर कोशिश करते है। कलाम साहब के इस कोट्स से यहीं मतलब है कि अगर हमने अपनी जिंदगी में कुछ बनने या हालिस करने का असली सपना देखा है तो हम अपने सपने को कुछ इस कदर से पूरा करने में जुट जाए जिससे हमरी आंखों से रातों की नींद उड़ जाए। खुली आंखो से जो सपना देखा उससे पूरा करने की कुछ तरह चाह होनी चाहिए। नींद मे आये सपने हम सवेरे तक भूल जाया करते है लेकिन खुली आंखों से देखा गया सपना नहीं भूलते। इस लिए सपने खुली आंखों से देखने चाहिए और उन्हें पूरा कने का ऐसा जूनून जो आपको सोने न दे।


कौन थे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ। अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। वह एक एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे, जिन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। उनका जन्म और परवरिश रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुई और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया। उन्होंने एक वैज्ञानिक और विज्ञान प्रशासक के रूप में अगले चार दशक बिताए, मुख्य रूप से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में और भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल विकास प्रयासों में गहन रूप से शामिल थे। इस प्रकार उन्हें बैलिस्टिक मिसाइल और लॉन्च वाहन प्रौद्योगिकी के विकास के लिए भारत के मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा। उन्होंने 1998 में भारत के पोखरण -2 परमाणु परीक्षणों में एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक, तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई, जो 1974 में भारत द्वारा मूल परमाणु परीक्षण के बाद पहला था।


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