By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 28, 2019
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ाने से जुड़े सरकार के कदम का विरोध करते हुए शुक्रवार को कहा कि इस ‘संवेदनशील राज्य’ में निर्वाचित सरकार का नहीं होना देशहित में नहीं है। उन्होंने सरकार से पूछा कि जब राज्य में लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हो सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करवाए जा सकते? राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने यह आरोप लगाया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से राज्य के लोगों में खुद को अलग-थलग महसूस करने का भाव बढ़ा है।
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तिवारी ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ सभी को मिलकर लंबी लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 के संदर्भ में कहा कि इस विधेयक की भावना का समर्थन करते हैं, लेकिन इसे जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पारित होता तो बेहतर होता क्योंकि यह उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने राष्ट्रपति शासन छह महीने बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया, हालांकि उन्होंने आरक्षण विधेयक का समर्थन किया। उन्होंने सवाल किया कि जब लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हो सकते हैं तो फिर विधानसभा चुनाव क्यों नहीं हो सकते? प्रेमचंद्रन ने कहा कि जब भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन खत्म किया तो कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने पीडीपी को समर्थन दिया, लेकिन इस गठबंधन को मौका नहीं दिया गया और जल्दबाजी में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।